KhabarMantraLive : झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में उम्मदवारी की टिकटों की रस्साकशी में कई नेता राजनीति के नाराज फूफा की भूमिका में आ गये हैं। इनमें से कई नेताओं ने अब तक पाला बदल लिया है और कई नेता समय का इंतजार कर रहे हैं, उसके बाद तय करेंगे कि दूसरे फूफाओं के साथ मिलकर हार जीत के समीकरण को लेकर फिल्डिंग करते नजर आयेंगे। कुछ नेता चुनाव की घोषणा के दो तीन महीने पहले ही दल बदल चुके हैं तो कई नेता अभी ताजा ताजा फूफा बने हैं। पुराने नेताओं की अगर बात करें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूराने नेता चम्पाई सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम जेएमएम के स्वभाव को लेकर फूफा बनकर उसका समीकरण बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं तो हाल ही में जमुआ विधायक केदार हाजरा, जिसे बीजेपी ने तीन टर्म टिकट देकर विधायक बनाया वह अब मंजू कुमारी की बीजेपी में एंट्री के बाद वह फूफा बन गये और जेएमएम के फोल्डर में चले गये। वहीं आजसू के नेता उमाकांत रजक हैं, जिन्हें उम्मीद थी कि चंदनकियारी विधानसभा सीट से आजसू पार्टी उन्हें टिकट देगी और लंबी साधना के प्रतिफल के रूप में उन्हें चंदनकियारी से लड़ने का अवसर मिलेगा लेकिन एनडीए में सीट शेयरिंग के मामले में चंदनकियारी की सीट आजसू के खाते से सरकने के बाद उमाकांत रजक फूफा बने और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कंधे पर बंदूक रखकर बीजेपी और आजसू का सबक सिखाने के मूड में दिखाई दे रहे हैं।
सबसे तेज फूफा निकले कमलेश सिंह…!
काम भी हो जाय और सामने वाला बिना बात के भनभनाता रहे, और चालाकी के बाद भी ससुराल, भतीजों के बीच में जिसकी तूती बोलती हो, उसे सबसे तेज फूफा माना जाता है। ऐसे फूफा नाराज नहीं होते हैं बल्कि कूटनीतियों से हो हल्ला के बीच अपनी संभावनाओं को तलाश लेते हैं। ऐसे ही एक राजनीति के फूफा हैं हुसैनाबाद के विधायक कमलेश कुमार सिंह। ये एनसीपी की टिकट पर चुनाव लड़े थे. बेचारा भतीजा चुनाव की तैयारी में था कि उसके ददीहाल से ग्रीन सिग्नल मिलेगा लेकिन एन वक्त पर कमलेश कुमार ने एनसीपी छोड़ बीजेपी ज्वाईन कर ली और भतीजा को नाराज कर दिया। मजबूरी में महात्मा गांधी बना भतीजा अब नाराज फूफा की भांति विद्रोह की बात कर रहा है। हुसैनाबाद में अब फूफा नाराज नहीं है बल्कि भतीजा ही फूफा बन चुके हैं।
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