Ranchi : कोल्हान की राजनीति इन दिनों पूरे शवाब पर है। हर दल की नजर कोल्हान की 14 सीटों पर गड़ी हुई है। इंडिया गठबंधन को कोल्हान के किले पर अपने वर्चस्व को बचाये रखने की चुनौती है, तो एनडीए गठबंधन उसके किले में सेंधमारी की तैयारी में है। कोल्हान के टाईगर फिसल कर बीजेपी के फोल्डर में चले गये हैं, तो जेएमएम ने किले को बचाने के लिये हेमंत सोरेन की पत्नी सहित कई नेताओं को मैदान में उतार दिया है। उधर, आजसू और बीजेपी नेताओं का चोली दामन का रिश्ता, जो 2019 के विधानसभा चुनावों में खत्म हो गया था वह रिश्ता 2024 के चुनावों में फिर से जुड़ गया है और आजसू से गठबंधन और चंपाई सोरेन की बीजेपी फोल्डर में एंट्री के बाद उम्मीदों का अशियाना बड़ा हो गया है। संभावनाओं और आशंकाओं के बीच यह समझना जरूरी है कि 2019 के चुनावों में कोल्हान के 14 सीटों पर कौन किस पर भारी रहा और कौन से ऐसे दल थे जिन्होंने बीजेपी के विजय रथ को रोकने की कोशिश की और उसमें वह सफल भी हुए।
2019 में आजसू बाहर रहा, तो बीजेपी को हुआ नुकसान
कोल्हान के कई विधानसभा सीटें आंकड़ों के लिहाज से देखी जायें तो बीजेपी की हार का मुख्य कारण आजसू और झारखंड विकास मोर्चा जैसी पार्टियां रहीं। हालांकि वर्तमान में आजसू वर्चस्व में नहीं है। वहीं आजसू का बीजेपी के साथ गठजोड़ कई सीटों पर बीजेपी को जीत दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
क्या कहते हैं कोल्हान की 14 सीटों के आंकड़े ?
बहरागोड़ा विधानसभा सीट
इस सीट से जेएमएम के समीर कुमार मोहंती ने बीजेपी के कुणाल षाड़ंगी को बड़े अंतर से हराया था। समीर मोहंती को जहां 1 लाख 6 हजार 17 वोट हासिल हुये थे, वहीं कुणाल षाड़ंगी को महज 45 हजार 452 मतों से संतुष्ट होना पड़ा था। इस सीट पर बीजेपी को कुणाल षाड़ंगी का विकल्प तलाशना होगा अथवा ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है।
चाईबासा : बीजेपी की मुश्किल बड़ी…!
चाईबासा सीट से दीपक बिरूआ झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं। इन्हें 2019 के चुनावों में 69 हजार 485 मत मिले थे। वहीं ब्यूरोक्रेट्स रहे बीजेपी के जेबी तुबिद को मात्र 43 हजार 326 वोट हासिल हुए थे।
चक्रधरपुर : कांटे की होगी टक्कर!
2019 विधानसभा चुनाव में जेएमएम के सुखराम उरांव ने जीत दर्ज करते हुए 43 हजार 832 मत हासिल किये थे और बीजेपी के लक्ष्मण गिलुआ को 12 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी। गिलुआ को 31 हजार 598 वोट मिले थे। वहीं जेवीएम के शशिभूषण समद ने 17 हजार 487 मत हासिल किये थे और जेवीएम के रामलाल मुंडा ने 17 हजार 232 मत हासिल किये। इस लिहाज से देखा जाये तो इस विधानसभा सीट पर बीजेपी की वापसी हो सकती है। क्योंकि आजसू बीजेपी फोल्डर में है।
घाटशिला : जीत सकती है बीजेपी…!
इस सीट से जेएमएम के विधायक हैं। जेएमएम के रामदास सोरेन ने बीजेपी के लखन चंद मरांडी को करीब 6 हजार 724 मतों के अन्तराल से हराया था। इस सीट पर जेएमएम, बीजेपी और आजसू ने क्रमशः 63531, 56807 और 31910 वोट हासिल किये थे। जाहिर है कि इस बार आजसू गठबंधन के साथ है तो इस सीट पर जीत लगभग तय है।
ईचागढ़ : बीजेपी की उम्मीदों वाली सीट…!
इस सीट से जेएमएम की सबिता महतो ने 2019 के विस चुनाव में आजसू के हरेलाल महतो को करीब 19 हजार के अंतर से हराया था। सबिता महतो को 57 हजार 546 मत मिले थे, जबकि हरेलाल महतो को 38 हजार 836 मत प्राप्त हुए थे। जबकि बीजेपी ने इस सीट पर तीसरे स्थान पर रहते हुए 38 हजार 485 मत हासिल किये थे। अगर आजसू और बीजेपी कैंडीडेट के वोट मिला दिये जायें तो यहां भी एनडीए के उम्मीदवार की जीत दिखाई दे रही है।
जगरनाथपुर : सिंकू की सीट को खतरा…!
जगरनाथपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के सोनाराम सिंकू विधायक हैं। 2019 में उन्हें 32 हजार 499 मत मिले थे, जबकि जेवीएम के उम्मीदवार मंगल सिंह बोबांग को 20 हजार 893 मत मिले थे। वहीं बीजेपी के मंगल सिंह सोरेन तीसरे पायदान पर खिसक गये और उन्हें 16 हजार 450 मतों से ही संतुष्ट होना पड़ा। इस सीट पर आजसू के उम्मीदवार को भी 14 हजार से ज्यादा मत मिले थे। इसलिये माना जा सकता है कि गठबंधन ट्रैक पर रहा और उम्मीदवारों ने बागी तेवर नहीं अपनाये तो यह सीट भी एनडीए के खाते में जा सकती है।
जमशेदपुर : ओबीसी वोटों पर निर्भरता…!
यहां से वर्तमान सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता जीतकर आये हैं। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 2019 के चुनावों में बीजेपी के देवेन्द्रनाथ सिंह को 22 हजार 583 मतों से शिकस्त दी थी। बन्ना गुप्ता को जहां 96 हजार 778 वोट मिले थे वहीं बीजेपी को 74 हजार 195 मत ही हासिल हुए थे। यहां टक्कर कांटे की है। क्योंकि पहले भी इस सीट से बीजेपी जीत दर्ज करती रही है।
जुगसलाई : एनडीए के लिये अवसर है यह सीट…!
यहां से जेएमएम के मंगल कालिंदी विधायक हैं और उन्होंने 2019 के विस चुनावों में बीजेपी को शिकस्त दी थी। मंगल को जहां 88 हजार 335 मत मिले थे। वहीं बीजेपी के मूचीराम बाउरी को 66 हजार 530 मत ही हासिल हुए थे। लेकिन आजसू के रामचंद्र सहिस ने 46 हजार 692 मत हासिल किये थे। कुल मिलाकर 2019 के चुनावों में आजसू पार्टी के कारण ही बीजेपी की इस जुगसलाई विधानसभा सीट से हार हुई थी। लेकिन 2024 के चुनाव में पुनर्रावृति होने की संभावना कम है।
खरसावां : कांटे की टक्कर के आसार…!
जेएमएम सरकार में मंत्री दशरथ गगराई यहां से विधायक हैं। उन्होंने बीजेपी के जवाहर लाल बानरा को करीब 13 हजार मतों के अंतर से हराया था। 2019 में दशरथ को 73 हजार 341 मत हासिल हुए थे जबकि बीजेपी को 50 हजार 546 वोट मिले थे। इस सीट पर आजसू के कैंडीडेट को मात्र 9 हजार 451 मतों से संतुष्ट होना पड़ा था।
सरायकेला : चंपाई की किस्मत किसके साथ?
2019 के विस चुनावों में जेएमएम की टिकट पर चंपाई सोरेन को इस सीट से 1 लाख 11 हजार 554 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के गणेश महली को 95 हजार 887 वोट प्राप्त हुए। वहीं आजसू के कैंडीडेट को 9 हजार 956 मत मिले। वर्तमान में चंपाई बीजेपी के साथ हैं तो जाहिर है कि उन्हें बीजेपी वोट बैंक का फायदा मिलेगा। साथ ही इस बात का भी खतरा है कि जेएमएम का कैडर वोट उनके हिस्से से बाहर हो सकता है। हार जीत का अंतर बड़ा नहीं था, लेकिन इस बार के चुनाव परिणाम में समीकरण कुछ भी हो सकता है।
मझगांव : निरल पूर्ति की जीत पक्की…!
मझगांव विस सीट से 2019 के चुनावों में निरल पूर्ति को जेएमएम का कैंडीडेट बनाया गया और उन्होंने बीजेपी के बड़कुंवर गगराई को बड़े अंतर से शिकस्त दी थी। निरल को जहां 67 हजार 750 वोट हासिल हुए थे वहीं बीजेपी के बड़कुंवर को 20 हजार 558 मत मिले थे। जबकि आजसू तीसरे पायदान पर रही जिसे मात्र 7 हजार 653 मत हासिल हुए।
मनोहरपुर : जोबा के बाद कौन?
2019 में यहां से जेएमएम के टिकट पर जोबा मांझी ने करीब 16 हजार के अंतर से जीत दर्ज की थी। जोबा को 50 हजार 945 वोट मिले थे जबकि बीजेपी के गुरूचरण नायक को 34 हजार 926 मत हासिल हुए। वहीं आजसू कंडीडेट को 13 हजार 468 मत हासिल हुए थे। जोबा मांझी लोकसभा में चुनाव जीतकर संसद जा चुकी हैं और अब जेएमएम को यहां अपना मजबूत दावेदार उतारना होगा। इसबार आजसू के बीजेपी गठबंधन की वजह से योग्य उम्मीदवार की कमी के कारण जेएमएम के हाथ से यह सीट जा सकती है।
जमशेदपुर पूर्वी : सीट को लेकर खींचतान!
2019 के विस चुनावों में यह सीट सबसे ज्यादा हॉट मानी जाती थी। क्योंकि इस सीट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री और उन्हीं की सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने बागी तेवर अपनाते हुए इसी सीट पर उन्हें चुनौती दी थी। नतीजा रघुवर दास मुख्यमंत्री रहते हुए इस सीट से बुरी तरह हार गये। सरयू राय ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 73 हजार 820 मत हासिल किये थे जबकि बीजेपी से रघुवर दास को 58 हजार 25 मतों से संतुष्ट होना पड़ा। वर्तमान स्थिति यह है कि रघुवर दास ओडिशा के राज्यपाल हैं और सरयू राय जेडीयू में शामिल हो गये हैं। जेडीयू बीजेपी के फोल्डर में है। ऐसा अंदेशा है कि पूर्वी सीट जेडीयू को बीजेपी किसी हाल में नहीं देगी, वहीं सरयू राय पूर्वी छोड़ने के मूड में नहीं हैं। इस सीट को लेकर ओडिशा से भी राजनीति हो रही है, ऐसी अफवाह भी है।
पोटका : दो सरदार के बीच फिर होगी भिड़ंत…!
2019 में यह सीट जेएमएम ने जीती थी। जेएमएम के कैंडीडेट संजीव सरदार के 1 लाख 10 हजार 753 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी की मेनका सरदार को 67 हजार 643 वोट मिले थे। इसलिये कहा जा सकता है कि इस सीट पर जेएमएम का दावा ज्यादा मजबूत है।
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