KhabarMantraLive : बृहस्पति गुरूदेव के ग्रह में सूर्य का प्रवेश जातकों के लिये हितकारी नहीं होता है और न ही राजनीति के लिये। लेकिन झारखंड की राजनीति पूस की रात फिल्म की दीवानी रही है और बीते दस सालों से सत्ता के लिये राजनीति के प्यादे पूस के खरमास के दिनों में ही सत्ता पर काबिज होते रहे हैं। अबकी बार खरमास का छींका टूटने जा रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सत्ता की खरमास से मुहब्बत को विराम लग जायेगा और पूस के पहले ही राज्य की बागडोर नये मुख्यमंत्री के हाथों में होगी। शपथ ग्रहण भी पूस के खरमास के पहले होने की संभावना प्रबल है। वैसे तो झारखंड की राजनीति में मुख्यमंत्री अपने आवास के पिछले दरवाजे से आते जाते रहे हैं क्योंकि पंडित पुरोहितों ने कहा है कि सीएम आवास के अगले दरवाजे में दोष है। इस दोष के अलावा झारखंड की सत्ता में एक और दोष है जो बीते 10 वर्षों से इसका पीछा नहीं छोड़ रहा है। वह दोष खरमास का है। पूस ही सर्द रात में शपथ लेने के बाद कई मुख्यमंत्री कालसर्पिणी दोष के शिकार हुए हैं और उनके सूर्य की बृहस्पति गुरू के घर में प्रवेश से जो प्रकोप हुआ उससे उनकी सत्ता चली गयी है अथवा छीन ली गयी है।
खरमास के सीएम को जानिये..
शिबू सोरेन- 30 दिसंबर 2009
रघुवर दास- 28 दिसंबर 2024
हेमंत सोरेन 28 दिसंबर 2019
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