Wednesday, December 18, 2024
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सुदिव्य : गिरिडीह जिला प्रमुख से लेकर मंत्री बनने तक का सफर

Ranchi: मुखमंडल और आंखों में झलकता गहरा आत्मविश्वास, सरल व सौम्य व्यवहार, पहनावा बिल्कुल आम नागरिक जैसा। क्षेत्र के लोगों के लिए हमेशा सुलभ रहनेवाले, लेकिन आक्रामक शैली में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति देनेवाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता। पार्टी के केंद्रीय महासचिव बल्कि, यह कहा जाये कि पार्टी संगठन को हर स्थिति में, हर मुद्दे पर तर्कों और तत्थों के आधार पर सटीक कुटनीतिज्ञ मशवरा देनेवाले गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करानेवाले सुदिव्य कुमार सोनू को पार्टी आलाकमान ने सीएम हेमंत 4.0 सरकार में मंत्री पद देकर बड़ी जिम्मेवारी दी है।

सियासत से कभी खानदानी जुड़ाव या लगाव नहीं रहा

अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे (54 वर्षीय) सामान्य परिवार से आनेवाले इंटरमीडिएट पास सुदिव्य कुमार का सियासत से कभी खानदानी जुड़ाव-लगाव नहीं रहा। अपितु, एक वाक्या ऐसा हुआ, जिससे इनके अंतर्मन ने सार्वजनिक जीवन की राह पकड़ने के लिए विवश कर दिया।

गुरुजी की अनुभवी आंखों ने एक युवा की कर्मठता को पढ़ा

1989 में इनकी मुलाकात पृथक राज्य आंदोलन की अगुवाई करनेवाले झारखंड के दिशोम गुरु जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन से हुई। गुरुजी ने युवा सुदिव्य का परिचय जाना। कहते हैं कि कुछ मिनटों की मुलाकात में झारखंडी अवाम के लिए अपना जीवन खपाने वाले गुरुजी की अनुभवी आंखों ने एक युवा की कर्मठता को पढ़ लिया। गुरुजी ने युवा सुदिव्य के कंधे पर हाथ रखकर उज्जवल भविष्य का आशीष दिया और इसके साथ गुरुजी युवा सुदिव्य के आदर्श हो गये।

पृथक झारखंड आंदोलन से जुड़े, संगठन को धारदार बनाया

शुरुआती दौर में सुदिव्य पृथक झारखंड आंदोलन से जुड़े। उन्होंने न केवल पार्टी का विस्तार किया, बल्कि संगठन को जरूरी संसाधनों से जोड़ कर धारदार बनाने का भी काम किया। पार्टी आलाकमान ने संगठन दल के प्रति निष्ठा और प्रतिबद्धता के मद्देनजर वर्ष 2009 में गिरिडीह सदर सीट से उन्‍हें टिकट दिया. मगर, सुदिव्‍य चुनाव हार गए। पुनः 2014 में टिकट दिया, पर आंशिक मतों से ही सही उन्‍हें पराजय ही हाथ लगी। अंतत: 10 वर्षों की मेहनत और जन जुड़ाव के बाद 2019 में पहली बार सफलता मिली और विधानसभा पहुंचे। चुनाव जीतने के बाद से ही 2024 का लक्ष्य हासिल करने की रणनिति के तहत जनमानस के दिलों में अपनी विशेष जगह बनाने में जुट गये। फलस्वरूप, विरोधियों के तमाम सियासी टोने-टोटटों के चक्रव्यूह को भेदकर पुनः 2024 में जनता के आशीर्वाद से विधानसभा पहुंचे।

कैसे बन गए गुरुजी और हेमंत सोरेन के विश्वासपात्र?

झारखंडियों की अस्मिता को लेकर सक्रिय राजनीति में आये मंत्री सुदिव्य कुमार ने जिला प्रमुख रहते हुए पार्टी संगठन का विस्तार किया। जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन जब कुड़को मामले में घिरे, तो अपनी सुझबूझ से गुरुजी और सीएम हेमंत सोरेन के विश्वासपात्र बन गये। उसी प्रकार अपने पहले विधायकी कार्यकाल में कई अवरोधों के बावजूद गिरिडीह इलाके में शिक्षा, स्वास्थ और सड़क के क्षेत्र में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट का खाका खींचा। इससे जनता के बीच अच्छा संदेश गया।

गिरिडीह की जनता ने कह दिया- सुदिव्य है, तो संभव है

कई लोगों की जुबान से सुना गया, हेमंत है तो हिम्मत है। वहीं, गिरिडीह में यह भी सुना गया कि सुदिव्य है, तो संभव है। सुदिव्य ने अपने प्रयास से मेडिकल कॉलेज इंजिनियंरिग कॉलेज, फोर लेन, रिंग रोड और शिक्षा के क्षेत्र में सर जेसी बोस विश्वविद्यालय का खाका खींचा। महान वैज्ञानिक सर जेसी बोस, जिनका गिरिडीह से हार्दिक लगाव रहा और उन्होंने अंतिम सांस गिरिडीह की धरा में लिया, ऐसे महान वैज्ञानिक के सपने को स्वच्छ हवा देने का काम सुदिव्य ने अपने कालखंड में किया।

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