KML Desk: यू-ट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया ने सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। अदालत ने उसकी मांगों को अस्वीकार करते हुए किसी प्रकार की त्वरित राहत देने से इंकार कर दिया है। दरअसल, रणवीर इलाहाबादिया ने अपने ऊपर दर्ज हुए केसों को एक जगह कर इस मामले पर तत्काल सुनवाई के लिये सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसके वकील अभिवन चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले में तत्काल सुनवाई का अदालत से आग्रह किया था। लेकिन, सीजेआई संजीव खन्ना ने मामले को तुरंत सूचीबद्ध करने से इंकार करते हुए कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है। दो-तीन दिनों में याचिका सूचीबद्ध हो जायेगा, उसके बाद ही अदालत इस पर सुनवाई करेगा।
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रणवीर पर दर्ज सभी मामलों को एक जगह कर सुनवाई की मांग
रणवीर इलाहाबादिया के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विभिन्न राज्यों में रणवीर के खिलाफ कई मामले दर्ज हुए हैं। उसे गुवाहाटी पुलिस ने आज यानी 14 फरवरी को पूछताछ के लिये बुलाया है। इसलिये, अदालत सभी मामलों को एक जगह कर दे, ताकि रणवीर को राज्यों में भागदौड़ नहीं करनी पड़े। साथ ही इस मामले में तत्काल सुनवाई की जाए। इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि वे मौखिक तौर पर जल्द सुनवाई की मांग को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने एडवोकेट चंद्रचूड़ को पहले रजिस्ट्री में संपर्क करने को कहा। बता दें कि रणवीर इलाहाबादिया के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोप में महाराष्ट्र और असम सहित कई राज्यों में प्राथमिकी दर्ज हुई है।
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क्या है पूरा मामला
कॉमेडियन समय रैना द्वारा होस्ट किये जाने वाले कॉमेडी शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में हाल के एक एपिसोड में काफी अश्लील और सामाजिक मर्यादा को भंग करने वाली आपत्तिजनक टिप्पणी की गयी थी। इस एपिसोड में जज पैनल में शामिल रणवीर इलाहबादिया, अपूर्वा मखीजा ने माता-पिता के निजी जीवन पर काफी भद्दी बातें कही थी। इस मामले में कई राज्यों में रणवीर इलाहाबादिया, अपूर्वा मखीजा, समय रैना और इस शो के आयोजकों के खिलाफ FIR दर्ज कराये गये। विवाद बढ़ता देख रणवीर इलाहाबादिया ने माफी भी मांगी, पर लोगों का आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बता दें कि यू-ट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया और अन्य के खिलाफ बीएनएस की धारा 79, धारा 186, धारा 299, धारा 296, धारा 3 (5) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 में प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
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