KhabarMantraLive : “काम के दाम मांगते, ऐसी तो अभिलाषा है… झूठ और अन्याय की, हेमंत इकलौती परिभाषा है।”
बाबूलाल मरांडी के इस बयान के बाद लगातार सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर बयानों की छीछालेदर जारी है। इधर बाबूलाल ने कहा तो उधर से हेमंत ने भी रियेक्शन दे दिया…! बाबूलाल ने हेमंत पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं..! युवाओं के सुनहरे भविष्य को बर्बाद कर सीट बेच रहे हैं। एक-एक सीट के लिये 25-25 लाख की बोली लग रही है।
मरांडी के बयान के बाद हेमंत कहां रुकने वाले थे उन्होंने भी करारा जवाब दे दिया…! हेमंत ने X पर पोस्ट कर लिखा “आपके पास ईडी है, सीबीआई है और दुनिया की सभी एजेंसियों का कुनबा है। आप किसी भी एजेंसी से जांच करवा लीजिए – अगर युवाओं के मुद्दों पर एक गलती निकल जाए तो मुझे 5 महीने नहीं 50 साल के लिए जेल डाल दीजिए – मैं उफ़्फ़ नहीं करूंगा।”
इन दोनों के विरोधाभाषी बयान के बाद सोशल मीडिया पर जो रिएक्शन आये वह भी कम दिलचस्प नहीं हैं। बाइक ट्रेवलर्स कंचन उगुरसंडी ने लिखा है कि -हेमंत सोरेन जी को बाबूलाल मरांडी जी का डर सर चढ़कर बोलता है। चुनाव आयोग द्वारा मान्यता देने के बावजूद लंबे समय तक नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया। हेमंत बाबू को यह डर था कि नेता प्रतिपक्ष का कद नेता सदन से बहुत बड़ा लगेगा। वह जब भी बोलते खड़े होंगे तो नेता सदन की बोलती बंद हो जाएगी। इसलिए उन्होंने षड्यंत्र कर बाबूलाल जी को इस भूमिका में नहीं आने दिया।
छी छी
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने “हो” समाज सहित पूरे आदिवासी समाज का अपमान किया है। एक निर्भीक आदिवासी बेटी के लिए मां की गाली तक दे डाली। उसकी मां के चरित्र पर कीचड़ उछाल दिया।
और कितना गिरेंगे हेमंत बाबू?
ये बयान आदिवासियों के प्रति झारखंड मुक्ति मोर्चा के भीतर की नफरत को बयान… https://t.co/riOY0iJgs6— Geeta kora (@Geetakora1) November 7, 2024
अब ताजा खबर यह है कि इन बयानों के बाद बीजेपी कैंडीडेट गीता कोड़ा ने सोसल मीडिया एक्स पर हेमंत सोरेन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने लिखा है कि छी… छी…! झारखंड मुक्ति मोर्चा ने “हो” समाज सहित पूरे आदिवासी समाज का अपमान किया है। एक निर्भीक आदिवासी बेटी के लिए मां की गाली तक दे डाली। उसकी मां के चरित्र पर कीचड़ उछाल दिया। और कितना गिरेंगे हेमंत बाबू? ये बयान आदिवासियों के प्रति झारखंड मुक्ति मोर्चा के भीतर की नफरत को बयान करता है।
बहरहाल, चुनावी बाजारवाद के सोसल प्लेटफॉर्म पर छिड़ी जुबानी जंग में एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का सिलसिला जारी है। मतदाता पूछ रहे हैं , हे राजनीति के धुरंधरों और कितना गिरोगे…?