Chaibasa (संतोष वर्मा) : अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीट मंझगांव 53 विधानसभा (अनुसूचित जनजाति) क्षेत्र से तीन बार निर्वाचित विधायक निरल पुरती हो समाज और निर्वाचन आयोग, भारत सरकार को धोखे में रख फर्जीवाड़ा कर विधायक बने है। निरल पूरती मूलतः पश्चिम सिंहभूम के तांतनगर प्रखण्ड अंतर्गत राजस्व ग्राम चेड़ेयापड़ी के निवासी है। क्षेत्र में चर्चा है कि विद्यायक निरल पुरती अपने परिवार में आदिवासी “हो” समाज का कोई परंपरागत पर्व त्योहार एवं अनुष्ठानों को नही मनाते हैं और न ही “हो” समाज के जन्म संस्कार,विवाह संस्कार,मृत्यु संस्कार एवं अन्य रीति-रिवाज को मनाते हैं ।उन्होंने जिस खतियान को आधार बना कर अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाया उक्त 1964 के सर्वे सेटलमेंट संयुक्त खतियान में खाता संख्या 79, प्लॉट संख्या 459 (मकान सहन) थाना संख्या 162 जुनास पिता डालटेन जाति क्रिस्तान किली पुरती दर्ज है। इसका शपथ पत्र भी उन्होंने निर्वाचन आयोग को दिया है। जिसका मूल खतियान में जाती क्रिस्तान अंकित है वो कैसे हो जनजाति/ आदिवासी बन सकता है। इससे यह साबित होता है कि उनका जाति प्रमाण पत्र फर्जी है तथा जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जीवाड़ा कर बनाया गया है। ये बातें अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, पश्चिम सिंहभूम के सचिव बिर सिंह बुड़ीउली ने कहीं। उन्होंने आपत्ति जताते हुए केंद्रीय निर्वाचन आयोग, भारत सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग और उपायुक्त सह जिला निर्वाचन अधिकारी को शिकायत पत्र लिखा और निरल पुरती के द्वारा दिए गये दस्तावेजों की जांच करते हुए नामांकन रद्द कर प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया है।
मालूम हो की विधायक निरल पुरती 2004, 2014, और 2019 में अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट से निर्वाचित हुए थे। वर्तमान 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया है। जिसे रद्द करने की मांग अखिल भारतीय परिसंघ पश्चिमी सिंहभूम कर रहा है।
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