Ranchi: झारखंड के खूंटी जिले में स्थित सारंडा जंगल में 200 से अधिक प्रजातियों के पौधों के विलुप्त होने का मामला सामने आया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अवैध कटाई, नक्सल गतिविधियों और प्रदूषण के कारण जंगल की जैव विविधता पर संकट मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि वन संरक्षण में लापरवाही और अवैध खनन की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
जांच की मांग:
इस मामले को लेकर हाजी मतलूब इमाम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जांच की मांग की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि यह एक गंभीर मामला है और इसकी पूरी जानकारी लेना आवश्यक है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए जाएं।
जंगल में संकट के कारण:
- अवैध कटाई और वनों की अंधाधुंध सफाई
- खनन और औद्योगिक गतिविधियों से बढ़ता प्रदूषण
- नक्सली गतिविधियों के चलते वन संरक्षण कार्य बाधित
- संरक्षण नीति में कमी और वन विभाग की लापरवाही
बायोडायवर्सिटी को खतरा:
रिपोर्ट के अनुसार, 2010 में यहां 253 दुर्लभ प्रजातियों के पौधे थे, जो 2022 में घटकर 30 रह गए। यह गिरावट वन संरक्षण में कमी को दर्शाती है।
प्राकृतिक धरोहर बचाने की अपील:
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से और भी कमजोर हो सकता है। स्थानीय पर्यावरणविदों ने सरकार से सारंडा की जैव विविधता बचाने के लिए विशेष संरक्षण अभियान चलाने की मांग की है।
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