KhabarMantraLive: हिंसा से पीड़ित विश्व आज भगवान महावीर के अहिंसा के संदेशों को निहार रहा है। वर्तमान एक ऐसे वर्धमान की तलाश में है, जहां ईर्ष्या, विद्वेष और हिंसा का कोई स्थान न हो..! ऐसे में भगवान महावीर की देशना को याद कीजिए और उनके पांच महा अणुव्रतों के संकल्पना के बारे में सोचिए, जिनका अनुपालन कर वह जैन धर्म के सिद्धांतों के पथ पर चलते हुए महावीर बने।
आज हम भगवान महावीर का जन्मकल्याणक मना रहे हैं। उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेकर स्व पर जीत की कामना कर रहे हैं। जन्मकल्याणक के दिन जैन धर्मानुरागी अपने मंदिरों में महावीर भगवान की शांतिधारा और जलाभिषेक कर उनकी शोभायात्रा के गवाह बने हुए हैं। वहीं पूरा विश्व तीसरे विश्वयुद्ध की आहट से सकते में है। ऐसे में भगवान महावीर के सिद्धांतों की प्रासंगिकता और ज्यादा बढ़ जाती है। इजराइल-फिलिस्तीन, रूस-यूक्रेन युद्ध की आग में जल रहे हैं, अमेरिका जैसी महाशक्ति अपने हथियारों की बिक्री के लिए वैश्विक मंचों पर एक दूसरे को लड़ाने में मशगूल है, तो ऐसे में भला जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के संदेश बहुत हद तक प्रासंगिक लगते हैं। भगवान महावीर ने कहा कि हमें अपने अंदर के दुश्मनों से लड़ना है, न कि बाहर बैठे शत्रुओं से। हमारा सौभाग्य यह है कि भगवान महावीर ने जन्म वैशाली कुंडलपुर में बेशक लिया हो, लेकिन उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति झारखंड की मनोरम और पुण्यशाली भूमि पर हुई थी। ऋजुला नदी के किनारे बैठकर उन्होंने तपस्या की और 12 वर्षों की अखंड तपस्या के बाद कैवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई। महावीर के संदेश पांच महाव्रतों, और जैन धर्म के मूल सिद्धांत सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र की पगडंडियों पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। महावीर ने अपने कालखंड में ऐसे कर्मकांडों के खिलाफ बिगुल फूंका था, जिनकी पथ पर चलते हुए स्वयं की मुक्ति संभव नहीं हो सकती है।
आज भगवान महावीर की जयंती हम मना रहे हैं। महावीर हमारे पथ प्रदर्शक हैं और हम उनके सिद्धांतों के अनुगामी। लेकिन आज हम उनके सिद्धांतों का अक्षरशः पालन करने में कतरा रहे हैं। हम मुरछा में जीने के आदी हो चुके हैं। हम दौड़ते जा रहे हैं… मंजिल से भटके हुए हम ऐसे इंसान बन चुके हैं, जो अपने जन्म के उद्देश्यों के प्रति सचेत नहीं हैं। महावीर कहते हैं कि जिंदगी अगर जीनी है तो आप क्या कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं और किसके लिए कर रहे हैं… इस बात का अहसास आपको सदैव रहना चाहिए। इस लिए उन्होंने कहा कि जीवन में होश की दीपस्तंभ जलाए रखने की जरूरत है ताकि अपनी गलतियों के प्रति हम सचेत रहें।