ई साला सिनेमा भी बहुते खतरनाक चीज है मियां….! पब्लिक सब बौराया हुआ है अल्लू- मंदाना के लिये…! रशिकलाल अखबार पढ़ते हुए लुभावन मियां से बोले…! मियां- सिनेमा तो हमलोग के जमाना में बना करता था…! दिलीप-सायराबानो, राजेश खन्ना-मुमताज…! ई सब कमाल का खेला (सिनेमा) बनाया करता था..! रशिकलाल- उ बात तो ठीक है…! लेकिन सल्लू के बाद अल्लू का जलवा जबर्दस्त है…! एक ही दिन आंय-बांय पैईसा कमा लिया है…! मियां- का कहते हो महराज..? सिनेमा देख लिया जाये..? सुने हैं कि गरदा उड़ा दिया है…! मुम्बईया हीरो भी सकपका गया है…! रशिकलाल- रहने दो मियां…! ई सिनेमा के चक्कर में हम नहीं पड़ते हैं…! अब तो टिकटवा भी महंगा हो गया है…! पहिले एक दो रूपये में देख लेते थे… अब ईलेक्स, बीलेक्स और न जाने कौन-कौन सा थियेटर आ गया है… अन्दर खैनी भी नहीं ले जाने देता है…! अन्दर में खाने पीने का सामान हवाई जहाज जईसन महंगा बेचता है…! मियां- जाये दो….! लेकिन हमरा देखने का मन कर रहा है…! साउथ का सिनेमा जब से पिकअप पकड़ा है… तब से मुम्बईया सिनेमा फुस्स दिखाई दे रहा है…! रशिकलाल- का मियां…? साउथ सिनेमा का डांस देखे हो…? सब आयं-बांय डांस करता है…! पुष्पा का पहिला पार्ट देखे थे…! अल्लू का कंधा कुबड़ था…! फिर भी सिनेमा बवाल कर दिया…! देश का लईका-लईकियन सब सिनेमा के पीछे भकुआएल रहता है…! मियां- आप सिनेमा का विशेषज्ञ मत बनिये….! पुष्पा-2 देखने चलना है तो बोलिये…! आप बकैती सुनने नहीं आये हैं…! रशिकलाल- हमका नहीं जाना है… समझ गये…? मियां- अबे पैईसा हम खर्चा कर रहे हैं… तो तुमका चलने में का हर्ज है…? रशिकलाल- नहीं जाना है… हमको साउथ फेस का सिनेमा सूट नहीं करता है…! लुभावन मियां बड़बड़ाते हुए- (साला… इसक जिन्दगी एईसे ही झंडीमार में निकल जायेगा।)
मजाक मजाक में…! साउथ फेस का सिनेमा सूट नहीं करता…!
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