Ranchi : झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण का प्रचार थमने वाला है। 11 नवंबर की शाम पांच बजे चुनावी शोर पर विराम लग जायेगा! एनडीए और इंडिया के बीच चुनाव प्रचार को लेकर जहां प्रतियोगिता का दौर चल रहा है, जनता को ऑफरों की घुट्टी पिलाई जा रही है। ऐसे में एक नये नेता का उदय बीते लोकसभा चुनाव में हुआ था, जिसने पूरे राज्य में 8.2 लाख से ज्यादा वोट लाकर राजनीतिक दलों के बीच सनसनी फैली दी थी। अब वहीं नया नेता जयराम महतो विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों को चुनौती दे रहे हैं।
बीते लोकसभा चुनाव में जयराम महतो गिरिडीह लोकसभा से उम्मीदवार थे। भले ही वह चुनाव हार गये लेकिन उन्हें मिले साढ़े तीन लाख वोट राजनीतिक दलों को झारखंड की राजनीति में उनके बढ़ते कद की इत्तला कर गये! 2024 के लोकसभा चुनाव में JBKSS ने गिरिडीह, रांची, हजारीबाग, कोडरमा और धनबाद समेत आठ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, पार्टी को कोई सीट नहीं मिली, लेकिन वह प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वोट शेयर हासिल करने में सफल रही। मौजूदा विधानसभा चुनाव में भी जयराम की पार्टी JLKM ने सबसे ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर कई बड़े राजनीतिक दलों की सिरदर्दी बढ़ा दी है। ऐसा लग रहा है कि झारखंड की राजनीति के जातीय समीकरण जयराम महतो के कद और प्रभाव को बढ़ाने वाले हैं। वे कुर्मी जाति से आते हैं और राज्य की राजनीति में आदिवासियों के बाद इस जाति को सबसे प्रभावशाली माना जाता है।
जिस तरह से उनकी सभाओं में भीड़ उमड़ती है, उसने सभी दलों की सभाओं में जुटने वाली भीड़ को चुनौती दे दी है। पूरे झारखंड में बाइक रैलियां निकाली जा रही हैं। न कोई मंच, न कोई तामझाम और न ही किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था। ऐसे में जनता के बीव विश्वास की लकीर खींचते जयराम भले ही चुनाव में उम्मीदों के अनुरूप जीत न दर्ज कर सकें लेकिन इतना तय है कि वह कई राजनीतिक पार्टियों के दिग्गजों का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। लोकसभा चुनाव में देवेंद्र नाथ महतो को 1,32,647 वोट मिले, जबकि हजारीबाग में संजय कुमार मेहता को 157,977 वोट मिले थे। ये माना कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के आंकड़ों का तालमेल नहीं बिठाया जा सकता है लेकिन वोटों के आधार पर किसी की हार या जीत का समीकरण जरूर बिगाड़ा और बनाया जा सकता है। दूसरी बात यह है कि राज्य की 30-35 विधानसभा सीटें कर्मी बहुल सीटें मानी जाती हैं जिनपर कुर्मी मतदाताओं की पकड़ देखी जाती रही है। मथुरा महतो, सुदेश महतो, चंद्रप्रकाश चौधरी, सहित कई नेता हैं जो कुर्मी वोटरों की वैसाखी पर जीत कर विधानसभा तक पहुंचे हैं। लेकिन जयराम की एंट्री के बाद इन नेताओं की रात की नींद और दिन का चैन छिन गया है। हालांकि उन्हें पता है कि जयराम की पार्टी इन सभी सीटों पर चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है, लेकिन इस बात का अहसास जरूर हो चला है कि जयराम की पार्टी JLKM के कैंडिडेट सीटिंग और रन कैंडिडेट का समीकरण जरूर बिगाड़ सकते हैं।
झारखंड की राजनीति में जयराम महतो के उदय ने ASJU और JMM के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। अभी तक स्थानीय वोटों पर इन्हीं दोनों पार्टियों का कब्जा था, लेकिन अब जयराम महतो के रूप में झारखंड में तीसरा मजबूत विकल्प सामने आया है। दरअसल, गिरिडीह सीट एनडीए गठबंधन के तहत आजसू पार्टी के खाते में गई थी। वहीं, भारत गठबंधन के तहत यह सीट जेएमएम को मिली थी। ऐसे में जयराम महतो को मिले बंपर वोटों ने एनडीए और भारत ब्लॉक के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है।
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के प्रमुख जयराम महतो डुमरी सीट समेत दो जगहों से चुनाव लड़ रहे हैं। JLKM कुल 71 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जयराम महतो ने गिरिडीह, धनबाद, हजारीबाग, रांची और कोडरमा सीटों पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराकर साबित कर दिया कि झारखंड विधानसभा चुनाव में वे बड़ा फैक्टर साबित होने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को देखते हुए ऐसा लगता है कि जयराम के इस नए राजनीतिक उदय ने राज्य की स्थापित पार्टियों झामुमो और भाजपा के बीच तनाव जरूर बढ़ा दिया है। आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो की तरह जयराम महतो की पृष्ठभूमि भी छात्र राजनीति से जुड़ी है। दोनों ही कुड़मी जाति से आते हैं और झारखंड में अच्छी खासी संख्या में वोटों पर उनकी नजर है। इस बार भाजपा और आजसू साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में दोनों अलग-अलग लड़े और आजसू को 8.1 प्रतिशत वोट मिले। 2014 में जब भाजपा और आजसू पहली बार साथ लड़े थे, तब आजसू को केवल 3.68 प्रतिशत वोट मिले थे। जेएलकेएम ने सिल्ली विधानसभा सीट से देवेंद्र नाथ महतो को टिकट दिया है, जहां से आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो चुनाव लड़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास कम से कम 32-35 विधानसभा सीटों, जैसे सिल्ली, रामगढ़, मांडू, गोमिया, डुमरी और ईचागढ़, जहां 75 प्रतिशत से अधिक मतदाता कुड़मी हैं।
बहरहाल, आप कह सकते हैं कि जेकेएलएम के ताजा ताजी बने सुप्रीमो जयराम का अगर समीकरण सटीक बैठा तो कईयों के समीकरण खराब कर सकते हैं।