Ranchi : चुनावों का दौर है! राजनीति उफान पर है! सियासत की गोटियां जनता की छाती पर खेली जा रही है। सत्ता की भूख में मुद्दे कहीं गुम हो चुके हैं..! बीजेपी 2019 के जनादेश पर बोल रही है क्या मिला? तो सत्ता बोल रही है, कब मिलेगा 1 लाख 36 हजार करोड़…? बुनियादी बातें करने को कोई तैयार नहीं है! लोकतंत्र में तंत्र लोक पर हावी हो चला है। ऐसे में जिन्दा मुद्दों की बात कौन करे? राज्य में करीब 5 हजार लोगों को एक डॉक्टर है…! बीते 19 सालों में 1300 बच्चे लापता हो गये..! बेरोजगारी चरम पर है…! भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका है! राज्य की बेटियां दूसरे राज्यों में बिक रही हैं…! जमीन दलालों की बल्ले बल्ले है..! राज्य की जांच एजेंसियां सत्ता के नुमाइंदों को बचाने में लगी हैं..! और सरकार विकास का ढोल पीट रही है! मुद्दे समंदर जैसे हैं और उपलब्धियां छटांक भर..! राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था का ढिंढोरा लाख पीटते रहें लेकिन यह सच है कि आज भी बेहतर इलाज के लिये हर साल 25 हजार से ज्यादा लोग वेल्लोर, एम्स और दूसरे राज्यों के अस्पताल में जा रहे हैं…! डॉक्टरों के 2 हजार पद खाली हैं..! राज्य में 35 हजार डॉक्टर होने चाहिये लेकिन कुल सृजित पद 3691 हैं।
अब दूसरे सेक्टर का हाल समझिये। पिछड़े राज्य का रोना रोने वालों को बता दें कि पौने तीन लाख से ज्यादा सरकारी पद खाली पड़े हैं! 4 लाख 66 हजार 129 पदों में अभी भी 2 लाख 80 हजार रिक्तियां हैं! हायर एजुकेशन संस्थान की संख्या तो बढ़ी लेकिन संसाधन देने में सरकार विफल रही। शिक्षा कांट्रैक्ट फैकल्टी के भरोसे छोड़ दी गई हैं। 15 निजी युनिवर्सिटी आ गई, लेकिन 25 हजार स्टूडेंट हर साल पढ़ाई के लिये पलायन कर रहे हैं, इसका जवाब कौन देगा? बीते दो साल में राज्य में 5 हजार करोड़ के घोटाले निकलकर सामने आये हैं…! मुख्यमंत्री, मंत्री और ब्यूरोक्रेटस जेल जा चुके हैं… और आप बीते चार साल में 191 घुसखोरों को गिरफ्तार करने का ढ़िढोरा पीट रहे हैं और उपलब्धि बता रहे हैं तो शर्म कीजिये…! सेंट्रल एजेंसियों के दखल से एक ब्यूरोक्रेट्स के यहां 20 करोड़ तो एक मंत्री के यहां 37 करोड़ पकड़े जाते हैं और आप कहते हैं सरकार पारदर्शी है, तो मुद्दे भी मुस्कुराकर कहते हैं छोड़ो यार! तुमसे न हो पायेगा…! मनरेगा में 200 करोड़, 1200 करोड़ का खनन घोटाला और 3 हजार करोड़ का टेंडर कमीशन घोटाला सामने आने के बाद आपकी हिम्मत की दाद देनी होगी…! एक और बात आपकी निडरता पर हमें नाज है…! मंईयां के नाम पर आपने खेल खेला है, लोगों को गुमराह करने में आपको महारत है। बहरहाल, मुद्दे हवा में तैरते रहेंगे और आपकी राजनीति यूं ही चमकती रहेगी..। जनादेश फिर मिलेगा और आप सत्ता में आ जायेंगे और भूल जायेंगे वादों को! दरकिनार कर देंगे जनता की भावनाओं को! हाशिये पर मुद्दे धकेल दिये जायेंगे…! मुद्दे सदा सर्वत्र जिन्दा हैं और रहेंगे… ये राजनीति की वंशवाद की तरह हैं जो कभी खत्म नहीं होंगे। लिहाजा, हवाबाजी का हौव्वा खड़ा करते रहें, क्योंकि मुद्दे हैं तो आप हैं…नहीं तो आप कहां और हम कहां…?
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