Thursday, March 13, 2025
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होली के रंग धार्मिक या मौज मस्ती तक ही सीमित नहीं, दूर हो सकती हैं कई बीमारियां

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KML Desk: हिंदू धर्म में हर साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होली का त्योहार मनाया जाता है। होली के त्योहार में लोगों का अलग ही उत्साह और उमंग देखने को मिलता है। होली का त्योहार आपसी भाईचारे और प्रेम का प्रतीक है। होली के दिन लोग ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी सब भूल कर एक दूसरे को अबीर, गुलाल और रंग लगाते हैं। साथ ही होली की बधाई देते हैं। लेकिन होली में रंग लगाना धार्मिक या मौज मस्ती तक ही सीमित नहीं है, बल्कि रंगों से खेलना स्वास्थ्यवर्धक भी हो सकता है। इसका वैज्ञानिक कारण कलर थेरेपी है, जो कि हमारे मन और जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

होली में अबीर, गुलाल और रंगों का अपना ही महत्व
होली पर लगाए जाने वाले अबीर, गुलाल और रंगों का अपना ही महत्व है। होली में रंगों से खेलने से मन में खुशी, ऊर्जा और आशा की भावना जागृत होती है। होली के रंगों से जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा आती है। होली के रंगों की बात करें, तो लाल रंग शक्ति और दृढ़ता से संबंधित होता है। वहीं हरा रंग हरियाली और जीवंतता, पीला रंग खुशी, गुलाबी रंग प्रेम और केसरिया रंग संतोष और त्याग और बैंगनी रंग ज्ञान से संबंधित होता है।

होली के दिन कौन सा रंग किसे लगाएं?
* लाल रंग- इस रंग को बच्चों और युवाओं को लगाएं।
* हरा रंग- इस रंग के अपने से बड़ों को लगाएं।
* पीला रंग- इस रंग को घर की महिलाओं को लगाएं।
* नारंगी रंग- इस रंग को अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को लगाएं।

कलर थेरेपी क्या होता है?
कलर थेरेपी रंगों के माध्यम से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने की एक विधि है। इस थेरेपी में हर रंग का खास महत्व होता है। रंगों और रोशनी का उपयोग करके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की कोशिश की जाती है। कलर थेरेपी में रंगों के जरिए शरीर के कई तत्वों को बैलेंस करने की कोशिश की जाती है। जब हम किसी रंग को देखते हैं, तो हमारा मस्तिष्क उस रंग की तरंगों को ग्रहण करता है और उसके अनुरूप हमारी भावनाएं व शरीर प्रतिक्रिया देते हैं।

होली में रंगों का वैज्ञानिक महत्व
होली का पर्व बसंत ऋतु में आता है। इस दौरान मौसम में बदलाव होता है, जिससे शरीर में कई प्रकार के संक्रमण और एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए बसंत ऋतु में रंगों का उपयोग करने से हमारा शरीर सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। रंगों से खेलने से हैप्पी हार्मोन (एंडोर्फिन) रिलीज होते हैं, जिससे मन खुशनुमा बना रहता है। वहीं होली में लोग घर के बाहर धूप में रंग खेलते हैं। धूप से विटामिन डी मिलता है, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है। वहीं, प्राकृतिक रंग त्वचा के लिए भी फायदेमंद होते हैं और टॉक्सिन्स को दूर करने में मदद करते हैं।

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