Ranchi/Dumka: हल, कुदाल और संथाल की राजनीति में दुमका एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जिसे JMM (झारखंड मुक्ति मोर्चा) की खास कर्मस्थली के रूप में जाना जाता है। इसके बाद भी यह भूमि लोकसभा चुनावों में गुरुजी यानी शिबू सोरेन की हार होने के साथ-साथ हेमंत सोरेन के शिकस्त की भी गवाह बनी है। बाबूलाल मरांडी लोकसभा चुनाव में BJP के टिकट पर जहां शिबू सोरेन का शिकस्त दे चुके हैं, तो सुनील सोरेन ने भी उन्हें पटकनी दी है। हेमंत सोरेन ने हार का स्वाद उनकी ही पार्टी में रहे स्टीफन मरांडी से चखा है। अब मैदान में हेमंत के भाई बसंत सोरेन हैं और सामने लोकसभा चुनावों में शिबू सोरेन को शिकस्त देने वाले सुनील सोरेन BJP के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। मुकाबला यूं तो बराबरी का है। बसंत के खाते में राज्य सरकार के मंत्री होने की नगीना भी जुड़ा हुआ है, तो एंटी इंकम्बैंसी फैक्टर भी उन्हें मौजूदा विधानसभा चुनाव में डरा रहा है। संथाल में घुसपैठ के मुद्दे पर घिरी सत्ता ने विपक्ष को खेलने का मौका दे दिया है। संभावना बड़े उलटफेर की भी हो सकती है।
दुमका विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
- आजादी के बाद 1952 में दुमका और मसलिया प्रखंड क्षेत्र को मिला कर दुमका विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया। झारखंड पार्टी के टिकट पर देवी सोरेन पहली बार विधायक चुने गये। 1957 में नये परिसीमन के आधार पर दुमका विधानसभा क्षेत्र से जरमुंडी और देवघर जिले के सारवां प्रखंड के कुछ इलाकों को जोड़ कर दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान कर दिया गया। इसमें सामान्य और अनुसूचित जनजाति (ST) कोटे से एक-एक सदस्यों के चुने जाने का प्रावधान किया गया। इस चुनाव में सामान्य जाति से झापा के टिकट पर सनाथ राउत और ST कोटे से बेनजामिन हांसदा विधायक निर्वाचित हुए।
- 1962 में इस सीट का पुनः नये सिरे से परिसीमन कर दिया गया। इसमें जरमुंडी और सारवां को अलग कर दुमका नगर सीट बनाया गया, जबकि दुमका मुफस्सिल और जामा प्रखंड के कुछ इलाकों को जोड़कर ST वर्ग के एक सदस्य के निर्वाचन का प्रावधान किया गया। इस चुनाव में झापा के टिकट पर पाल मुर्मू विधायक चुने गये।
- 1967 में दुमका से मसलिया को जोड़ कर अजजा के लिए एक सदस्यीय विधायक चुने जाने का प्रावधान किया गया और जामा को अलग विधानसभा बना दिया गया। इस चुनाव में भारतीय जनसंघ के टिकट पर गोपाल मरांडी विधायक चुने गये।
- 1969 में दुमका अजजा सीट से कांग्रेस के पायका मुर्मू विधायक निर्वाचित हुए।
- 1971 में भी कांग्रेस के टिकट पर पायका मुर्मू पुनः विधायक चुने गये।
- 1977 में आपातकाल के बाद कांग्रेस के विरुद्ध चली बयार में जनता पार्टी के टिकट पर महादेव मरांडी विधायक चुने गये।
- इसके बाद दुमका JMM की राजनीति का मुख्य केंद्र बन गया। JMM के टिकट पर प्रो स्टीफन मरांडी 1980, 1985, 1990, 1995 और 2000 में लगातार विधायक निर्वाचित होते रहे।
- झारखंड गठन के बाद 2005 में झामुमो ने प्रो स्टीफन मरांडी को पार्टीने टिकट वंचित कर पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन के पुत्र और वर्तमान CM हेमंत सोरेन का अपना प्रत्याशी बना कर मैदान में उतारा। लेकिन प्रो स्टीफन मरांडी पार्टी से बगावत कर इस सीट पर बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे और झामुमो के टिकट पर पहली बार मैदान में उतरे हेमंत सोरेन को हराकर लगातार छठी बार विधायक चुने गये। इसके बाद वे निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़ा सरकार में उपमुख्यमंत्री भी बने।
2009 में हेमंत सोरेन पहली बार दुमका से जीते
2009 में झामुमो ने वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ही भरोसा जताया। इस चुनाव में Congress ने छह बार से विधायक चुने जाने वाले उस समय के उपमुख्यमंत्री प्रो स्टीफन मरांडी और BJP ने डाॅ लुईस मरांडी को मैदान में उतारा। लेकिन JMM के टिकट पर मैदान में उतरे हेमंत सोरेन पहली बार विधायक चुने गये। पहली बार विधायक चुने गये हेमंत सोरेन, अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी BJP और JMM की गठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री बने। हालांकि कुछ महीने बाद ही JMM से अर्जुन मुंडा की सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे मुंडा सरकार गिर गयी। इस कारण राज्य में कुछ महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसके बाद झामुमो, कांग्रेस और राजद के समर्थन से गैर भाजपा यूपीए गठबंधन की सरकार बनी और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बन गये।
2014 में लुईस मरांडी ने दुमका में हेमंत को हराया
2014 के विधानसभा चुनाव में दुमका सीट से JMM के टिकट पर हेमंत सोरेन पुनः मैदान में उतरे। वहीं BJP ने डॉ लुईस मरांडी को तीसरी बार इस क्षेत्र के चुनावी दंगल में उतारा। इस चुनाव में लुईस मरांडी निवर्तमान CM हेमंत सोरेन को हराकर पहली बार इस क्षेत्र में भगवा ध्वज फहराने में सफल हुईं और नवगठित रघुवर दास सरकार में मंत्री भी बनीं। हालांकि इस चुनाव में हेमंत सोरेन दो सीटों से चुनाव लड़ने के कारण दुमका सीट से हारने के बावजूद बरहेट सीट से जीत कर विधायक चुने गये। वे 2014 से दिसंबर 2019 तक राज्य के नेता प्रतिपक्ष रहे। लेकिन, 2019 के विधानसभा चुनाव में पासा पलटा। हेमंत सोरेन ने JMM के टिकट पर बरहेट और दुमका, दो सीटों पर अपने भाग्य की आजमाईश की और वे दोनों सीट से विजेता हुए।
लोस चुनाव में दुमका विधानसभा में JMM को लगा झटका
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के करीब चार माह पहले हुए लोकसभा चुनाव हुआ। इसमें दुमका लोकसभा सीट के दुमका विधानसभा में JMM को झटका लगा। दुमका विधानसभा क्षेत्र से JMM का ग्राफ गिरा और BJP कैंडिडेट और CM हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने बढ़त हासिल की।
2024 लोस चुनाव में दुमका विस में किसे कितने वोट मिले
कैंडिडेट – पार्टी – प्राप्त मत
नलिन सोरेन – JMM – 78,778
सीता सोरेन – BJP – 89,211
2020 में दुमका विधानसभा उपचुनाव परिणाम
कैंडिडेट – पार्टी – प्राप्त मत
बसंत सोरेन – JMM – 80,559
लुईस मरांडी – BJP – 73,717
दुमका विधानसभा चुनाव 2019 का परिणाम
कैंडिडेट – पार्टी – प्राप्त मत
हेमंत सोरेन – JMM – 81,007
लुईस मरांडी – BJP – 67,819
दुमका विधानसभा चुनाव 2014 का परिणाम
कैंडिडेट – पार्टी – प्राप्त मत
लुईस मरांडी – BJP – 70,367
हेमंत सोरेन – JMM – 65,105
दुमका विधानसभा चुनाव 2009 का परिणाम
कैंडिडेट – पार्टी – प्राप्त मत
हेमंत सोरेन – JMM – 35,129
लुईस मरांडी – BJP – 32,460
दुमका विधानसभा चुनाव 2005 का परिणाम
कैंडिडेट – पार्टी – प्राप्त मत
स्टीफन मरांडी – निर्दलीय – 41,340
मोहिल मुर्मू – BJP – 35,993