KhabarMantraLive: झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री, डॉ. इरफान अंसारी ने भाजपा और मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह बयान फूकबंदी मदरसा में आयोजित वार्षिक महासम्मेलन में दिया, जहां उन्होंने कहा, “वहशी को इंसान बना दे या अल्लाह।” इस बयान के जरिए उन्होंने मुसलमानों के दिलों में व्याप्त आक्रोश और दर्द को व्यक्त किया।
डॉ. इरफान अंसारी ने आरोप लगाया कि भाजपा की मोदी सरकार मुसलमानों के खिलाफ दमनकारी नीतियाँ लागू कर रही है, और यह सरकार मुसलमानों को उनके अधिकारों से वंचित करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा, “भाजपा राक्षस की तरह हमारे साथ बर्ताव कर रही है और हमारे हक को निगल जाना चाहती है।” उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों के लिए इस सरकार से किसी भी प्रकार की उम्मीद नहीं है, क्योंकि यह सरकार कभी भी उनके हक में कोई निर्णय नहीं ले सकती।
वक्फ बोर्ड कानून के खिलाफ स्पष्ट बयान
डॉ. अंसारी ने कहा कि वक्फ बोर्ड कानून किसी भी हाल में झारखंड में लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार के तानाशाही रवैये के खिलाफ उनका संघर्ष जारी रहेगा और झारखंड की धरती पर इस तरह के काले कानूनों को स्थापित नहीं होने दिया जाएगा।
हफीजुल अंसारी ने भी मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा की बात की
इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री हफीजुल अंसारी ने भी अपना संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि वह अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के तौर पर हमेशा मुसलमानों की आवाज़ उठाते रहेंगे और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा की कि उर्दू अकादमी और मदरसा बोर्ड का गठन जल्द किया जाएगा, जिससे मुसलमानों को शैक्षिक अधिकार मिलेगा और उनकी भाषा और संस्कृति की रक्षा हो सकेगी।
उलमा-ए-किराम का समर्थन
इस महासम्मेलन में उपस्थित उलमा-ए-किराम ने भी डॉ. इरफान अंसारी और हफीजुल अंसारी के नेतृत्व का समर्थन करते हुए कहा कि वे दोनों ही मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम हैं। उलमाओं ने कहा कि जब मुसलमानों को चारों ओर से घेरा जा रहा है, तो यह जरूरी है कि हमारे नेता हमारी आवाज बनकर सामने आएं और संघर्ष को सही दिशा में आगे बढ़ाएं।
संगठन और संघर्ष की ताकत
महासम्मेलन में उपस्थित सभी समुदाय के लोग एकजुट होकर मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया। यह एक ऐतिहासिक अवसर था, जहां मुसलमानों की आवाज़ को मजबूती से उठाने का संदेश दिया गया। सभी ने यह कहा कि वे अपनी जमीन और अधिकारों को किसी भी सूरत में मोदी सरकार को नहीं सौंपेंगे।