Ranchi: झारखंड विधानसभा में 27 फरवरी को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई थी। झारखंड की प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) इंदु अग्रवाल ने शुक्रवार को अपने कार्यालय में इसका विस्तृत ब्यौरा दिया। CAG की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति काफी लचर है। प्रधान महालेखाकार ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में वर्ष 2016 से 2022 तक राज्य के अस्पतालों की जांच का ब्यौरा है।
अस्पतालों में डॉक्टरों के 2,202 पद रिक्त
CAG की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। इंदु अग्रवाल ने बताया कि राज्य में चिकित्सा पदाधिकारी के 6,334 पदों में से 2,202 पद रिक्त हैं। वहीं, मेडिकल कॉलेज में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की भी भारी कमी है। इसके अलावा हेल्थ केयर सर्विस में भी कमी है।
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ओपीडी और सीएचसी में आई केयर नहीं
कई अस्पतालों में बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं तक नहीं हैं। नतीजतन, मरीजों को दूसरे अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। वहीं, ओपीडी और सीएचसी में आई केयर उपलब्ध नहीं है। उसी तरह इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (IPD) और लैब टेक्नीशियन की भी भारी कमी पाई गई है। मोबाइल मेडिकल यूनिट भी नहीं हैं।
फंड और खर्च में भारी विसंगति
CAG की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग को मिले फंड और खर्च में भी विसंगति है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार को 756 करोड़ रुपये का फंड मिला था, जिसमें से 436 करोड़ ही रिलीज किया गया। इसमें भी विभाग ने महज 137 करोड़ रुपये ही खर्च किये, जिसके कारण कई जरूरी लैब्स नहीं बन पाए।
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दवाओं और उपकरणों की कमी
CAG की रिपोर्ट में राज्य के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता में भी भारी कमी का जिक्र है। वर्ष 2016 से 2022 तक दवाओं की खरीदारी में 280 करोड़ रुपये खर्च किये गये। वहीं स्टोरेज की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण दवाएं खराब हो गईं या फेंक दी गईं। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में 94% उपकरणों की कमी दर्ज की गई। कोविड-19 की दवाओं में भी भारी कमी पाई गई।
मेडिकल कॉलेज और इंफ्रास्ट्रक्चर दयनीय
- 2018 तक नए मेडिकल कॉलेज बनने थे, लेकिन वे सही से नहीं बन सके।
- 830 MBBS सीटों के सृजन की योजना भी अधूरी रही।
- कोडरमा, चाईबासा और खरसावां में 500 बेड के अस्पताल अधूरे पड़े हैं।