Ranchi : चुनाव के बाद राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका पता तो 23 नवंबर के नतीजों के बाद ही सामने आयेगा। जेएमएम-कांग्रेस की पटरी पर सत्ता की रेलगाड़ी का समीकरण बनाने के लिये जो समझौते की बुनियाद रखी गयी थी, वह जेएमएम पर भारी पड़ रही है। उसकी वजह भी साफ है कि कांग्रेस की सुस्त चुनावी चाल से जेएमएम आहत हो रही है। कल्पना-हेमंत की चुनावी सभाओं के माध्यम से विपक्ष को चुनौती देने का काम अकेले जेएमएम के कर्णधारों पर निर्भर कर दिया गया है और इंडिया गठबंधन फोल्डर के दलों के बड़े नेताओं की चुनावी सभाओं को राज्य भर में टोटा पड़ा हुआ है। राहुल गांधी वायनाड में अपनी बहन प्रियंका के लिये बैटिंग में व्यस्त दिखाई दे रहे हैं तो खरगे भी यदा कदा ही झारखंड में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। एक दो बार राहुल गांधी की सभाएं जरूर हुई हैं जो बीजेपी के बड़े कद के नेताओं से भी कमतर दिखाई दे रही हैं। ऐसे में जेएमएम के सत्ता के सपनों को नजर लगना भी लाजिमी सा प्रतीत हो रहा है। कल्पना-हेमंत दोनों की इंडिया गठबंधन के स्टार प्रचारक बने हुए हैं और उनके सामने पीएम मोदी, अमित शाह, योगी, हिमंता और शिवराज सिंह की सभाएं हो रही हैं जबकि कांग्रेस के कद्दावार नेता कुंडली मारकर कोप भवन में बैठकर सिर्फ बयानबाजी करते दिखाई दे रहे हैं।
अब तक पीएम मोदी ने एक दर्जन से ज्यादा चुनावी सभायें और रोड शो किये हैं जबकि राहुल और खरगे की उपस्थिति चंद सभाओं में देखी गयी है। वहीं हेमंत-कल्पना की चुनावी सभाओं की संख्या बीजेपी कांग्रेस के नेताओं से कहीं ज्यादा है। हालांकि अमित शाह और हिमंता-शिवराज आदि की सभाओं को जोड़ा जाये तो सभाओं के आंकड़े ज्यादा बैठेंगे। फिर भी यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या जेएमएम की कांग्रेस से सीटों के बंटवारे को लेकर दिखने वाली बेरूखी की वजह से कांग्रेस ने खामोशी साध ली है या फिर कोई और वजह है!
कांग्रेस के प्रदर्शन कहीं कमजोर न हो जाय…!
विस चुनावों में कांग्रेस की कई सीटों पर प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। अकेले जेएमएम की कल्पना-हेमंत की चुनावी सभाओं के दम पर कांग्रेस अपनी सीटों पर कमबैक करने की कोशिश कर रही है! कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनावी कैंपेन से गायब दिखाई दे रहे हैं! बन्ना गुप्ता के बाद गुलाम अहमद मीर के मुस्लिम प्रेम के बयान को लेकर भी एक अलग विचारधारा बन रही है जिससे बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है। वहीं जेएमएम की तरफ से ऐसे बयानों से बचने का प्रयास किया जा रहा है जबकि कांग्रेस खुलकर बात कर रही है। जाहिर है कि कांग्रेस का समीकरण बिगड़ेगा तो जेएमएम के लिये सत्ता का समीकरण बैठाना आसान नहीं होगा। वर्तमान में कांग्रेस राज्य की 18 सीटों पर काबिज है। अगर कोल्हान, संथाल में समीकरण बिगड़े तो इतना तय है कि जेएमएम की सत्ता में वापसी नहीं होने का ठीकरा कांग्रेस के माथे मढ़ा जायेगा।