Ranchi : जिस तरह से जातक की कुंडली देखने के बाद ही जातक का भविष्य बताया जाता है ठीक उसी तरह से राजनीति में भी जातक के वोट बैंक डाटा देखकर टिकट देने और न देने के फैसले लिये जाते हैं। कुछ जातक का व्यक्तिगत कद बड़ा होता है तो कुछ की राजनीतिक पार्टी का और दलों के बीच गठबंधन की परिपाटी यहीं से शुरू होती है। अकेला रहा था व्यक्ति और पार्टी का विलय हो जाता है, अगर एक से ज्यादा रहे तो गठबंधन की गांठ बंध जाती है और एक दूसरे के वोट बैंक के डाटा को ट्रांसफर कर चुनाव जीतने की रणनीति बना लेते हैं। 2019 के चुनावों में जो आजसू पार्टी अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरी थी। वहीं आजसू इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में अपने पुराने साथी के साथ मैदान में है। 2019 के चुनावों में औंधे मुंह गिरी आजसू अपने पुराने आशियाने में लौट आई है, तो उसे भी उम्मीद है कि राज्य की अगर दस सीटें बीजेपी उसके लिये छोड़ देती है तो उसे भी बीजेपी के वोट बैंक के डाटा ट्रांसफर होकर मिल जायेंगे और वह उन सीटों पर जीत सकती है जिनपर वह 2019 के चुनावों में रनर की भूमिका में रही थी। वहीं बीजेपी को भी कुछ ऐसी ही उम्मीद है कि आजसू जैसे क्षेत्रीय दल उसकी जीत की भूमिका में अहम रोल निभा सकती है। साथ ही बीजेपी को यह भी डर है कि जयराम टाईगर अगर कुड़मी सीटों पर दहाड़ मार बैठता है तो बची खूची इज्जत भी चली जायेगी। 2019 के चुनाव में इन सीटों पर जयराम की दहाड़ नहीं थी इसलिये आजसू रनर की भूमिका में दिखाई दी थी। कुल मिलाकर आप कह सकते हैं कि आजसू का भविष्य बीजेपी के दम पर टिका हुआ है।
विस सीटें, जिनपर आजसू की नजर
आजसू पार्टी की नजर राज्य की करीब एक दर्जन विधानसभा सीटों पर है और उसका दावा भी है कि सीटों का बंटवारे अगर होता है तो वह उन सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। बड़कागांव, रामगढ़, मांडू, डुमरी, चंदकियारी, ईचागढ़, तमाड़, सिल्ली और गोमिया विधानसभा सीटों पर आजसू की नजर है। लेकिन यहां बुनियादी सवाल यह है कि इनमें से कई सीटों पर जयराम टाईगर की पार्टी की भी पकड़ है, क्योंकि यहां कुड़मी वोटर हार जीत के फैक्टर माने जाते हैं।
2019 के आंकड़े क्या कहते हैं?
2019 के विधानसभा चुनाव में कुल 9 सीटों पर आजसू रनर रही है। जिनमें से 6 सीटें ऐसी थीं जिनपर जेएमएम गठबंधन के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की जबकि 3 सीटों पर बीजेपी जीती थी। राजमहल, सिमरिया और चंदनकियारी विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार ने आजसू के प्रत्याशी को क्रमशः 12372, 10996 औ 9211 मतों से हराया था जबकि इन सीटों पर आजसू को क्रमशः 76532, 50442 और 58528 मत मिले थे। वहीं अन्य 6 सीटें बड़कागांव, रामगढ़, मांडू, डुमरी, ईचागढ़ और तमाड़ विस सीट से आजसू रनर रहते हुए महागठबंधन के उम्मीदवार से क्रमशः 31514, 28718 ,2062, 34288, 18710, 30971 मतों के अन्तर से पीछे रही। और इन सीटों पर आजसू को क्रमशः 67348, 71226, 47793, 36840, 38836, 24520 मत हासिल हुए थे।
2019 में आजसू को मिले 8.10 प्रतिशत वोट
2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू ने पूरे राज्य की 53 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था और उसे महज दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि 2014 के चुनाव में उसने 5 सीटें जीती थीं। आजसू ने सिल्ली और गोमिया विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। मतलब साफ है कि गठबंधन के बाहर जाने पर उसे 3 सीटों का नुकसान हुआ था। आजसू को 2019 में कुल 8.10 प्रतिशत मत मिले थे। वहीं 2019 के उपचुनाव में रामगढ़ विधानसभा सीट फिर से आजसू के खाते में आ गई और कांग्रेस की उम्मीदवार को आजसू पार्टी के उम्मीदवार ने 21 हजार 970 मतों के अन्तर से शिकस्त दे दी।
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