Ranchi: अबुआ अधिकार मंच ने सीएम हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि उत्तराखंड सरकार के तर्ज पर झारखंड सरकार भी हमारे आंदोलनकारियों को सम्मान और अधिकार दे। इसको लेकर मंच के द्वारा मंत्री दीपक बिरुआ के माध्यम से सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। झापन में 9 सूत्री मांगों को रखते हुए कहा गया है कि झारखंड आंदोलनकारियों के त्याग और बलिदान को उचित सम्मान एवं संरक्षण प्रदान करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। परंतु, यह अत्यंत खेदजनक है कि राज्य निर्माण के इतने वर्षों बाद भी आंदोलनकारियों को न तो उचित पहचान मिली और न ही उनके कल्याण के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।
अबुआ अधिकार मंच ने सीएम के समक्ष रखी मांगें
- आंदोलनकारियों का चिह्नितीकरण: झारखंड राज्य आंदोलन में भाग लेने वाले सभी आंदोलनकारियों का एक सुव्यवस्थित तरीके से चिन्हीकरण प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। आधार वर्ष 2000 निर्धारित कर झारखंड आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले आंदोलनकारियों को सूचीबद्ध किया जाए।
- सरकारी सेवाओं में अवसर: जिन आंदोलनकारियों ने सात दिन या अधिक जेल यात्रा की हो, अथवा आंदोलन के दौरान घायल हुए हों, उन्हें अथवा उनके आश्रितों को तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पदों पर सीधी नियुक्ति दी जाए। वहीं, अब तक नियुक्त आंदोलनकारियों की संख्या सार्वजनिक कर शेष को भी अविलंब रोजगार दिया जाए।
- आरक्षण की व्यवस्था: अधिकतम 50 वर्ष आयु वाले चिह्नित झारखंड आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में 06% अधिमान तथा 10% क्षैतिज आरक्षण दिया जाए। जिन आंदोलनकारियों की आयु 50 वर्ष से अधिक हो गई है और वे सरकारी सेवा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाए।
- स्वरोजगार के अवसर: ऐसे चिह्नित आंदोलनकारी जिन्होंने सात दिन से कम अवधि के लिए जेल यात्रा की है, उन्हें तथा उनके आश्रितों को सब्सिडी वाली स्वरोजगार योजनाओं में प्राथमिकता देते हुए सामान्य लोगों से 5% अधिक सब्सिडी दी जाए। साथ ही साथ बैंकों से ऋण उपलब्ध कराने की विशेष सुविधा प्रदान की जाए। निजी संस्थानों की नियुक्तियों में भी झारखंड आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों को 10% आरक्षण दिया जाए।
- अनुग्रह राशि: ऐसे झारखंड आंदोलनकारी, जिनके विरुद्ध कानूनी मुकदमे दर्ज किए गए थे, उन्हें अनुग्रह राशि प्रदान करने का निर्णय लिया जाए। 2004 तक मुकदमों का सामना करने वाले आंदोलनकारियों को 1 लाख रुपये और अन्य मामलों में 50 से 75 हजार रुपये दिये जाएं। आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमें अविलंब वापस हों।
- पेंशन की व्यवस्था: जिन आंदोलनकारियों को किसी कारणवश सरकारी सेवा नहीं मिली, उन्हें 10 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाए। आंदोलन के दौरान विकलांग हुए आंदोलनकारियों को, उन्हें 15 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाए। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार आंदोलनकारियों को 10 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाए।
- समिति का गठन एवं शहीद स्मारक निर्माण: आंदोलनकारियों की समस्याओं के निराकरण हेतु जिला स्तर पर समिति गठित हो। झारखंड आंदोलन में शहीद हुए वीरों की स्मृति में भव्य स्मारक और संग्रहालय का निर्माण हो।
- आंदोलनकारियों के बच्चों की शिक्षा: आंदोलनकारियों के बच्चों को सरकारी/ निजी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था हो। राज्य सरकार आंदोलनकारी परिवारों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना लागू करें, जिससे उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कोई बाधा न हो। निजी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया जाए कि वे आंदोलनकारी परिवारों के बच्चों को आरक्षित सीटों के माध्यम से नामांकन दें और उनकी फीस को माफ करें।
- यात्रा भत्ता की व्यवस्था: स्वतंत्रता सेनानियों के तर्ज पर बस/ ट्रेन की यात्रा में झारखंड राज्य आंदोलनकारियों को रियायत मिले।
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