Thursday, November 21, 2024
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मासस का माले में विलय…

Dhanbad: धनबाद के जिस ऐतिहासिक गोल्फ ग्राउंड में साल 1972 में शिबू सोरेन, एके राय और बिनोद बिहारी महतो ने झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया था। एक बार फिर से वह मैदान चर्चा में है। कारण है मार्क्सवादी चिंतक कामरेड एके राय जिन्हें राजनीतिक का संत कहा जाता है, उनकी पार्टी मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का भाकपा माले में विलय। बता दें की 9 सितंबर यानी आज धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का भाकपा माले में विलय हो रहा है। इससे लेकर एकता रैली कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

बता दें कि बगोदर से भाकपा माले विधायक विनोद कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि झारखंड अलग होने के बाद राज्य के लिए 9 सितंबर का दिन ऐतिहासिक होगा। मासस के माले में विलय से मजदूर और आम लोगों के हौसले को एक उड़ान मिलेगी। दोनों पार्टियों के एक साथ मंच पर आने के बाद धनबाद, बोकारो, हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा जैसे इलाकों में लाल झंडा की दावेदारी एक बार फिर से बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने इस राज्य को और देश को सिर्फ लूटने का काम किया है। उन्हें भगाने के लिए यह विलय काफी महत्वपूर्ण है।

मालूम हो कि धनबाद के निरसा विधानसभा सीट पर मासस से अरूप चटर्जी के विधायक रह चुके हैं। अरूप चटर्जी यहां से हमेशा चुनाव लड़े हैं। हालांकि यहां वर्तमान में बीजेपी से अपर्णा सेन गुप्ता विधायक हैं। पिछले चुनाव में जेएमएम ने भी यहां से अपना प्रत्याशी उतारा था। वहीं, सिंदरी विधानसभा सीट पर मासस के पूर्व विधायक आनंद महतो भी चुनाव लड़ते आए हैं। इस बार बेटे बबलू महतो को चुनावी समर में उतारने की तैयारी चल रही है।

वहीं, गिरिडीह के राजधनवार सीट पर भाकपा माले से राजकुमार यादव चुनाव लड़ते आए हैं, जो पिछले चुनाव में हार गए। फिलहाल यहां बाबूलाल मरांडी बीजेपी से विधायक हैं। कुल मिलाकर बात करें तो इन तीन सीटों के लिए महागठबंधन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। क्योंकि निरसा, राजधनवार और सिंदरी इन तीनों सीटों पर जेएमएम ने भी पिछले विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी दिया था, लेकिन तीनों पर जेएमएम को हार का सामना करना पड़ा था। क्योंकि निरसा और सिंदरी इन दो सीटों पर जेएमएम ने पिछले विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी दिया था।

कौन थे A.K. ROY

A.K. ROY (अरुण कुमार रॉय ) – अरुण कुमार रॉय एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने संसद सदस्य और विधान सभा सदस्य दोनों के रूप में कार्य किया। उनका जन्म 15 जून 1935 को ब्रिटिश राज के दौरान तत्कालीन पूर्वी बंगाल के राजशाही जिले के एक छोटे से गाँव में ब्रिटिश विरोधी कार्यकर्ता माता-पिता के यहाँ हुआ था। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पूर्व सदस्य रॉय ने 1966-1967 में श्रमिकों की हड़ताल का समर्थन करने के लिए एक कंपनी में केमिकल इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी से बर्खास्त होने के बाद राजनीति में प्रवेश किया। बाद में अपने राजनीतिक जीवन में, रॉय ने झारखंड के धनबाद के कोयला खनन क्षेत्र में स्थित एक राजनीतिक पार्टी मार्क्सवादी समन्वय समिति की स्थापना की।

 

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