Ranchi: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के सातवें दिन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 100 करोड़ रुपये के कथित गबन का मामला जोर-शोर से उठा। प्रश्नकाल के दौरान विधायक प्रदीप यादव ने स्वर्णरेखा परियोजना के तहत शीर्ष कार्य प्रमंडल में फर्जी खाता खोलकर करोड़ों रुपये की निकासी का मुद्दा उठाया। उन्होंने वित्त विभाग की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में कई अभियंताओं की संलिप्तता उजागर हुई है, लेकिन अब तक केवल रोकड़पाल संतोष कुमार के खिलाफ ही कार्रवाई हुई है।
सदन में तीखी बहस, सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने
प्रदीप यादव के सवाल पर प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने आश्वासन दिया कि इस मामले की जांच कर सात दिनों के भीतर सदन को अवगत कराया जाएगा। लेकिन सत्ता पक्ष के ही विधायक स्टीफन मरांडी और रामेश्वर उरांव ने मंत्री के जवाब पर असंतोष जताया। मरांडी ने आरोप लगाया कि कार्यपालक अभियंता को बचाने की कोशिश की जा रही है, जबकि उरांव ने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई की जगह “धंसा दो” की नीति अपनाई जा रही है।
“केवल संतोष कुमार पर कार्रवाई क्यों?”
मामले पर अपनी बात रखते हुए विधायक मथुरा महतो और हेमलाल मुर्मू ने कहा कि विभागीय जांच लीपापोती के अलावा कुछ नहीं होती। जब वित्त विभाग की रिपोर्ट में कई अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है, तो कार्रवाई केवल संतोष कुमार पर ही क्यों की जा रही है? उन्होंने मांग की कि मुख्य अभियंता प्रभात कुमार सिंह और कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर समेत अन्य अभियंताओं के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए।
“यदि सत्ता पक्ष के विधायकों को ही संघर्ष करना पड़ रहा है, तो विपक्ष की स्थिति क्या होगी?”
इस मुद्दे पर कटाक्ष करते हुए विधायक नवीन जयसवाल ने कहा कि जब सत्ता पक्ष के विधायकों को ही दोषियों पर कार्रवाई के लिए इतनी मशक्कत करनी पड़ रही है, तो विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सरकार की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रदीप यादव ने दी धरने की चेतावनी, सात दिन में होगी चर्चा
प्रभारी मंत्री के जवाब से असंतुष्ट प्रदीप यादव ने सदन में ही धरने पर बैठने की चेतावनी दी। वहीं, हेमलाल मुर्मू ने भी कहा कि बिना कार्यपालक अभियंता की मिलीभगत के रोकड़पाल गबन नहीं कर सकता। बहस के बाद प्रभारी मंत्री ने आश्वासन दिया कि सात दिनों के भीतर इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद स्पीकर ने इस प्रश्न को सात दिन के लिए स्थगित कर दिया। अब इस मुद्दे पर अगली चर्चा सात दिन बाद होगी।
क्या होगी कार्रवाई?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सात दिनों के भीतर सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। क्या सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर होगी, या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?