क्या प्रतिबंध सिर्फ कागजों पर, ज़मीनी हकीकत कुछ और?
रांची: राज्य सरकार ने तंबाकू और निकोटिन युक्त गुटखा एवं पान मसाला पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी का कहना है कि यह फैसला लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि अब न तो गुटखा और पान मसाला का निर्माण होगा, न ही इसका भंडारण, वितरण या बिक्री की जा सकेगी। यदि किसी दुकान, गोदाम या व्यक्ति के पास यह पदार्थ पाया जाता है, तो सख्त कानूनी कार्रवाई होगी और गोदाम भी सील कर दिया जाएगा।
लेकिन क्या यह प्रतिबंध सिर्फ कुछ इलाकों तक सीमित है?
जब राजधानी रांची के अलग-अलग हिस्सों में नजर डाली जाती है, तो हालात कुछ और ही बयां करते हैं। शहर के कई इलाकों में पान मसाला और गुटखा खुलेआम बिक रहा है। प्रतिबंध के बावजूद, दुकानदार इसे दोगुनी कीमत पर बेच रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सरकार ने गुटखा और पान मसाला पर बैन लगाया है, तो यह दुकानों तक पहुंच कैसे रहा है?
क्या गुटखा राज्य में तस्करी कर लाया जा रहा है?
अगर राज्य में गुटखा और पान मसाला पूरी तरह प्रतिबंधित है, तो क्या यह बाहर से इंपोर्ट किया जा रहा है? क्या प्रशासन इस पर रोक लगाने में नाकाम है? या फिर यह पूरा मामला सिर्फ दिखावे के लिए है?
नाम न छापने की शर्त पर व्यापारियों ने बताया कि गुटखा और पान मसाला की आपूर्ति चोरी-छिपे जारी है, और सरकार के प्रतिबंध से इसका केवल दाम बढ़ा है, बिक्री बंद नहीं हुई। पहले जो गुटखा 5 रुपये में मिलता था, वह अब 10-15 रुपये में मिल रहा है।
प्रचार पर रोक क्यों नहीं?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर गुटखा और पान मसाला बेचना अपराध है, तो इसका प्रचार क्यों जारी है?
- राजधानी के करमटोली चौक और गाड़ी खाना चौक पर पान मसाला के बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं।
- नगर निगम और प्रशासन को इससे कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि ये विज्ञापनों से करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।
सरकार का दोहरा रवैया?
- क्या यह प्रतिबंध सिर्फ दिखावे के लिए लगाया गया है?
- अगर सरकार सच में प्रतिबंध को लागू करना चाहती है, तो बाहर से इसकी आपूर्ति कैसे हो रही है?
- प्रशासन गुटखा तस्करी पर क्यों नहीं लगाम लगा पा रहा है?
- क्या सिर्फ छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई होगी, जबकि बड़ी कंपनियों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है?
जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते, यह प्रतिबंध सिर्फ एक दिखावा ही माना जाएगा। जनता यह जानना चाहती है कि सरकार का असली इरादा क्या है – स्वास्थ्य सुधार या सिर्फ राजनीतिक प्रचार?