Chaibasa: प्रतिबंधित भाकपा नक्सली संगठन के शीर्ष नेताओं और उनके दस्तों के खिलाफ चाईबासा पुलिस, कोबरा 209 BN, झारखंड जगुआर, और सीआरपीएफ के विभिन्न बटालियनों के संयुक्त अभियान के तहत लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। ये अभियान मुख्य रूप से सारंडा और कोल्हान क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के प्रयासों को विफल करने के लिए चलाए जा रहे हैं।
सुरक्षा बलों ने दो नक्सल डम्प को किया ध्वस्त
वर्ष 2022 से, यह संयुक्त अभियान गोईलकेरा थानांतर्गत और टोन्टो थाना क्षेत्र के सीमावर्ती गांवों में निरंतर चल रहा है। हाल ही में, 24 फरवरी 2025 को टोन्टो थाना क्षेत्र के सरजामबुरू, तुम्बाहाका और जीम्कीइकीर के आस-पास के जंगली क्षेत्र में एक बड़ा सर्च अभियान शुरू किया गया। इस सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने दो नक्सल डम्प को ध्वस्त किया और भारी मात्रा में हथियार, कारतूस और अन्य दैनिक उपयोग की सामग्री बरामद की। इन हथियारों में एम16 राइफल, बोल्ट एक्शन राइफल, और 303 राइफल जैसी घातक हथियार और कई सारे सामग्री शामिल हैं। फिलहाल यह नक्सल विरोधी अभियान जारी है, जिसमें चाईबासा जिला पुलिस और सीआरपीएफ 197 बटालियन के जवाल लगातार जंगल में सर्च अभियान चला रहे है।
डीजीपी अनुराग गुप्ता का अल्टीमेटम: नक्सलियों को सरेंडर करने का मौका, नहीं तो होगा सफाया
राज्य के पुलिस महानिर्देशक डीजीपी अनुराग गुप्ता ने नक्सलियों को एक कड़ा अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि नक्सलियों के पास अब दो ही रास्ते हैं – या तो वे सरकार की सरेंडर नीति को अपनाकर आत्मसमर्पण कर लें, या फिर इस साल के अंत तक सुरक्षा बल उन्हें पूरी तरह से समाप्त कर देंगे। डीजीपी ने यह चेतावनी भी दी है कि अब कोई भी नक्सली बख्शा नहीं जाएगा और उनकी मुहिम को समाप्त करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे। बता दें कि चाईबासा के जंगलों में कई ऐसे नक्सली सक्रिय हैं, जिनके खिलाफ करोड़ों रुपये के इनाम की घोषित है। इन नक्सलियों में सबसे प्रमुख नाम मिसीर बेसरा का है, जो पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। लगातार सुरक्षा बलों के जवान उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रहे हैं, लेकिन मिसीर बेसरा हर बार सुरक्षा बलों के हाथों से बचने में सफल हो जाता है।