Kml Desk: तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में SLBC टनल हादसे के बाद 8 मजदूरों के फंसे होने की खबर आई है। इन मजदूरों में से 4 मजदूर झारखंड के गुमला जिले बताए जा रहे है. मजदूरों कि पहचान – संतोष साहू, अनुज साहू, जगता खेस और संदीप साहू के रूप में कि गई है। हादसे के बाद इन मजदूरों के परिवारों में चिंता का माहौल है, क्योंकि वे काफी लंबे समय से समय से टनल में फंसे हुए हैं और उनके बारे में कोई पुख्ता जानकारी अब तक परिवार वालों को नहीं मिल पाई है।
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परिजनों ने सरकार से की अपील
मिली जानकारी के अनुसार संतोष साहू 2022 में काम करने तेलंगाना गए थे, अनुज साहू और संदीप साहू 2023 में पहुंचे, जबकि जगता खेस 2021 से वहां काम कर रहा था। चार में से तीन मजदूर अविवाहित हैं, जबकि संतोष साहू के तीन छोटे बच्चे – ऋषभ (बेटा), रीमा और राधिका (बेटियां) हैं। संतोष साहू के परिवार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि उनके पति को सुरक्षित बाहर निकाला जाए।
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुरक्षित रेस्क्यू का किया आग्रह
वहीं घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री से श्रमिकों के रेस्क्यू के लिए संपर्क किया और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए मदद मांगी। इसके साथ ही राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के जरिए तेलंगाना सरकार से श्रमिकों की स्थिति की जानकारी ली जा रही है।
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हादसे के बाद से परिजन काफी परेशान
गुमला के करौंदी पंचायत के तिर्रा गांव में संतोष साहू के परिजन इस हादसे के बाद बेहद परेशान हैं। संतोष की पत्नी संतोषी देवी और उनके बच्चे सरकार से यह आग्रह कर रहे हैं कि उनके पिता को जल्द से जल्द सुरक्षित वापस लाया जाए। संतोष की बेटी राधिका ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, इस वजह से उनके पिता काम करने के लिए तेलंगाना गए थे।
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कैसे हुआ हादसा
मिली जानकारी के अनुसार 22 फरवरी की सुबह तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में एसएलबीसी सुरंग में एक हादसा हुआ, जब 200 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन के साथ पहली शिफ्ट में 50 से ज्यादा लोग सुरंग में दाखिल हुए। ये लोग सुरंग के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए, लेकिन इसी दौरान सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया। इस हादसे में मशीन के आगे चल रहे दो इंजीनियर समेत 8 लोग फंस गए, जबकि 42 अन्य कर्मचारी सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागकर सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे।
हादसे के बाद बताया गया कि सुरंग में अचानक पानी और मिट्टी बहकर आने लगी, जिससे सुरंग का ऊपरी हिस्सा बैठ गया। इस हादसे के कारण बचाव टीमों को मलबा साफ करने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि मलबा 14 किलोमीटर तक फैला हुआ है। ऐसे में हालात का जायजा लेने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है, ताकि बचाव कार्य में सहायता मिल सके और फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
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