Saturday, March 15, 2025
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शहादत को सलाम: नम आंखों से शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी को दी गयी विदाई

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हौसले और बलिदान की मिसाल: शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी की शौर्यगाथा

जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में हुए आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी को उनके पैतृक निवास हजारीबाग में अंतिम विदाई दी गई। जैसे ही पार्थिव शरीर हजारीबाग पहुंचा, पूरा शहर शहीद के सम्मान में उमड़ पड़ा। चारों ओर ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद करमजीत अमर रहें’ के जयघोष सुनाई देने लगे। हजारों लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा में भाग लिया और फूल बरसाकर अपने वीर सपूत को श्रद्धांजलि दी।

देशभक्ति की प्रेरणास्रोत बने कैप्टन करमजीत

कैप्टन करमजीत की शहादत केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे न केवल एक बहादुर सैनिक थे, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी थे। उनका सपना बचपन से ही भारतीय सेना का हिस्सा बनकर देश की सेवा करने का था। 2023 में सेना में शामिल होने के बाद, वे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ देश की रक्षा में लगे रहे।

परिवार का गर्व और दुःख: पिता की जुबानी

शहीद के पिता अजेंद्र सिंह, जो हजारीबाग में व्यवसायी हैं, ने नम आंखों से बताया, “बचपन से ही करमजीत का सपना सेना में जाने का था। हम गर्व से कहते हैं कि हमारा बेटा देश की रक्षा करते हुए अमर हो गया। हालांकि, यह दुख कभी कम नहीं होगा, लेकिन उसकी वीरता की गाथा हमेशा अमर रहेगी।”

शादी से पहले ही देश के लिए बलिदान

परिवार के अनुसार, कैप्टन करमजीत सिंह की शादी 5 अप्रैल को तय थी। उनकी मंगेतर आर्मी में डॉक्टर हैं। शहीद के बलिदान ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि उनकी होने वाली दुल्हन के सपनों को भी तोड़ दिया। उनकी शहादत से देश ने एक वीर योद्धा खो दिया, लेकिन उनके बलिदान की गाथा आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनी रहेगी।

हजारीबाग के सिख समुदाय ने किया सम्मान

शहीद के सम्मान में हजारीबाग के सिख समुदाय ने अपने सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रखे। शहरभर में मातम का माहौल था, लेकिन हर किसी की आंखों में गर्व भी साफ झलक रहा था। लोगों ने उनके घर के बाहर और अंतिम यात्रा के दौरान श्रद्धांजलि अर्पित की।

कैप्टन करमजीत की शौर्यगाथा रहेगी अमर

शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बख्शी ने मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनकी वीरता, साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि देशभक्ति केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में होनी चाहिए। भारतीय सेना और पूरा राष्ट्र उनके सर्वोच्च बलिदान को हमेशा याद रखेगा।

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