Ranchi: भू-राजस्व मंत्री दीपक बिरुआ ने मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में भू-राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षा की। बैठक में मंत्री ने कहा कि अंचलों में तकनीकी कारणों का हवाला देकर रैयतों के आवेदनों को बेवजह रिजेक्ट करने पर संबंधित सीओ पर अब कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी कारणों से झारभूमि साइट नहीं खुलने की बातें लिख कर, सीओ आवेदनों को रिजेक्ट करने का बहाना बनाते हैं। लेकिन, अब ऐसा नहीं चलेगा। बैठक में विभागीय सचिव चंद्रशेखर, भू-राजस्व विभाग के निदेशक भोर सिंह यादव, विशेष सचिव शशि प्रकाश झा समेत जिलेभर से आये एलआरडीसी, एडिशनल कलेक्टर समेत अन्य अधिकारी पदाधिकारी मौजूद थे।
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“आवेदन रिजेक्ट करने पर सीओ को 50 शब्दों में देना होगा स्पष्टीकरण”
मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि अंचलों में दाखिल-खारिज संबंधित मामलों पर आवेदनों की अस्वीकृत या आपत्ति के कारणों को सीओ को 50 शब्दों में ठोस बातें लिखकर स्पष्टीकरण देना होगा। उन्होंने कहा कि जमीन मामले में अंचलों में कई गड़बड़ियां हैं, जिसका भुगतान सरकार को उठाना पड़ता है। मंत्री ने सभी अंचल अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि सचेत होकर ईमानदारी से अपने कार्य दायित्व का निर्वहन करें।
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“मॉडर्न रूम को करें दुरुस्त, खतियान निकालने में न हो परेशानी”
मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि कई मॉडर्न रिकॉर्ड रूम से खतियान निकालने पर सही छपाई नहीं होती है। खतियान फोटो कॉपी नहीं दिखता है। ऐसी विसंगतियों को दुरुस्त किया जाएं। स्पष्ट स्कैनिंग नहीं होने पर रैयतों को अपने जमीन की सही जानकारी नहीं मिलती है। खतियान निकालने के बाद भी रैयतों को परेशानी नहीं होना चाहिए। उन्होंने मॉडर्न रुम में कैथी और बंगला भाषा में लिखी खतियान को ट्रांसलेट करने सुविधा देने पर भी जोर दिया।
“आरओबी बनाने के चक्कर में ग्रामीण सड़कों को छोड़ना गलत”
एनएचएआई कार्य परियोजना को लेकर मंत्री ने दो टूक कहा कि जहां-तहां आरओबी बनाने के चक्कर में ग्रामीण सड़कों को छोड़ दिया जाता है, जो गलत है। आरओबी ऊपर में बनने और नीचे जगह छूटने से आमजनों को परेशानियां होती है। उन्होंने लैंड एक्वीजेशन को लेकर समय पर मुआवजा दिलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि एनएचएआई की जिम्मेवारी है कि पदाधिकारी लैंड एकयूजेशन संबंधित समस्याओं का त्वरित समाधान करें।
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