Jharkhand: झारखंड के 49 शहरी स्थानीय निकायों की ड्रोन लेडार (LiDAR) तकनीक से मैपिंग की जाएगी। नगर विकास विभाग ने इस महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दी है, जिससे शहरी क्षेत्रों की सटीक डिजिटल मैपिंग संभव हो सकेगी। इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य होल्डिंग टैक्स की प्रभावी वसूली करना है, जिससे शहरी निकायों की आय में वृद्धि होगी।
कैसे होगा ड्रोन लेडार सर्वे?
ड्रोन लेडार सर्वे एक आधुनिक तकनीक है जिसमें यूएवी (अनमैन्ड एरियल व्हीकल) यानी ड्रोन पर लेडार सेंसर लगाया जाता है। यह सेंसर लेजर पल्स भेजकर सतह की सटीक माप करता है और 3डी डिजिटल नक्शा तैयार करता है। इससे शहरी क्षेत्रों के भवनों, सड़कों और निर्माण स्थलों की सटीक जानकारी मिल सकेगी।
क्या मिलेगा इस सर्वे से फायदा?
होल्डिंग टैक्स दायरे में आएंगे सभी भवन – वर्तमान में होल्डिंग टैक्स 2011 की गणना के अनुसार लिया जा रहा है, जबकि उसके बाद कई नए मकान और कॉलोनियां बनी हैं। इस सर्वे से इन सभी को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा।
रांची में 70 हजार नए घर आएंगे टैक्स के दायरे में – अभी रांची में करीब 2.30 लाख घरों से होल्डिंग टैक्स वसूला जा रहा है, जबकि नए सर्वे से 70 हजार अतिरिक्त घरों की पहचान होगी।
डैशबोर्ड पर उपलब्ध होगा पूरा डेटा – सभी स्थानीय निकायों का 3डी डिजिटल नक्शा नगर विकास विभाग के डैशबोर्ड पर उपलब्ध होगा। इससे नए व अनियमित निर्माण की पहचान करना आसान होगा।
अवैध निर्माणों पर होगी सख्ती – कई मकान मालिक होल्डिंग टैक्स से बचने के लिए निर्माण कार्य अधूरा दिखाते हैं, जबकि उनमें व्यावसायिक गतिविधियां जारी रहती हैं। इस सर्वे के बाद ऐसे मकानों को चिन्हित कर उचित कार्रवाई की जा सकेगी।
किन क्षेत्रों में होगा ड्रोन लेडार सर्वे उपयोगी?
➡ भूमि सर्वेक्षण और शहरी नियोजन
➡ सड़क निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर मैपिंग
➡ खनन और खनिज संसाधनों का सर्वेक्षण
➡ आपदा प्रबंधन और पुनर्वास योजना
कौन करेगा सर्वेक्षण?
भारत सरकार की गरुड़ कंपनी से इस सर्वेक्षण को लेकर बातचीत जारी है, हालांकि सर्वे के लिए अंतिम एजेंसी का चयन अभी बाकी है।
यह सर्वे झारखंड के शहरी विकास में एक बड़ा कदम साबित होगा और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक बनेगा।