Friday, March 14, 2025
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Supreme Court ने BJP सांसदों के खिलाफ FIR रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा

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KML Desk: Supreme Court ने झारखंड सरकार द्वारा दायर चुनौती याचिका को खारिज करते हुए BJP सांसदों के खिलाफ दर्ज FIR को खारिज करने के झारखंड High Court के फैसले को बरकरार रखा है। इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने 18 दिसंबर 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया।

क्‍या है पूरा मामला

दरअसल, BJP सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ सितंबर 2022 में FIR दर्ज किया गया था। प्रतिवादियों पर देवघर एयरपोर्ट पर ATC (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) के अधिकारियों को निजी विमान को उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए धमकाने और मजबूर करने का आरोप था। इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 336, धारा 447 और धारा 448 के साथ-साथ विमान अधिनियम, 1934 की धारा 10 और 11 (ए) में FIR दर्ज की गयी थी। झारखंड High Court ने सुनवाई के दौरान विमान अधिनियम के तहत आवश्यक शिकायत या मंजूरी का अभाव माना था और FIR को खारिज कर दिया था। साथ ही साथ झारखंड सरकार को जांच के दौरान एकत्र की गयी सामग्री को चार सप्ताह के भीतर एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 के तहत DGCA को भेजने को कहा, ताकि संबंधित अधिकारी कानून के अनुसार निर्णय ले सकें कि क्‍या इसमें शिकायत दर्ज की जा सकती है या नहीं। इसके बाद राज्‍य सरकार द्वारा High Court के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 336 और 447 के प्रयोजन पर उठाये सवाल

Supreme Court में चुनौती याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि विमान अधिनियम की धारा 10 और 11 (ए) के तहत जांच पूर्व मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि विमान अधिनियम के तहत अपराधों पर संज्ञान केवल शिकायत दर्ज करने पर ही लिया जा सकता है। जस्टिस ओक ने FIR में लगायी गयी IPC की धारा 336 और 447 के प्रयोजन पर भी सवाल उठाया। उन्‍होंने कहा कि इन धाराओं के तहत आरोपों में स्पष्ट सबूतों का साफ तौर पर अभाव दिखाई देता है। साथ ही स्पष्ट तौर पर कहा कि Supreme Court विमान अधिनियम के तहत दर्ज FIR को रद्द करने के झारखंड High Court के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगा।

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