KML Desk: झारखंड के लाल पर्वतारोही शशि शेखर ने एक बार फिर नया कीर्तिमान स्थापति कर राज्य और देश का नाम रौशन किया है। उन्होंने अर्जेंटीना में अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी अकोंकागुआ पर तिरंगा झंडा फहराया है। बता दें कि शशि शेखर गोमिया के पूर्व विधायक डॉ. लंबोदर महतो के पुत्र हैं। इस संबंध में खुद डॉ लंबोदर महतो ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि उनके पुत्र शशि शेखर ने अर्जेंटीना में अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी अकोंकागुआ पर तिरंगा झंडा फहराया है। शशि शेखर की इस उपलब्धि पर बधाई देने वालों का ताता लगा हुआ है।
यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एंब्रुल्स पर फहरा चुके हैं तिरंगा
बता दें कि शशि शेखर ने इससे पहले पिछले साल 17 अगस्त को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एंब्रुल्स पर तिरंगा झंडा फहराया था। रूस के कॉकस पर्वत श्रृंखला में स्थित इस चोटी पर उन्होंने 5,642 मीटर की ऊंचाई पर यह कीर्तिमान स्थापित किया था। शशि शेखर ने इस साहसिक यात्रा के दौरान अपनी शारीरिक और मानसिक ताकत को परखा और पर्वतारोहण के प्रति अपने समर्पण को साबित किया। उनकी इस उपलब्धि ने झारखंड में पर्वतारोहण की दुनिया में एक नई मिसाल स्थापित की है।
शशि शेखर ने पर्वतारोहण के प्रति समर्पण को साबित किया
शशि शेखर की माउंटेनियरिंग का सफर प्रेरणादायक है। उनके इस साहसिक प्रयास ने यह भी दर्शाया कि सही तैयारी, समर्पण और दृढ़ निश्चय के साथ किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि को पिता डॉ. लंबोदर महतो व गोमिया क्षेत्र के लोगों को समर्पित किया है। शशि शेखर ने कहा कि पिता का समर्थन और समर्पण मेरे लिए प्रेरणास्रोत है।
शशि शेखर की पूर्व की उपलब्धियां
शशि शेखर की पूर्व की उपलब्धियों में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के बालकनी (8,430 मीटर/ 27,657फीट) तक का सफर, नेपाल स्थित माउंट लोबुचे (6,199 मीटर/ 20,075 फीट) पर झंडा लहराना और माउंट मनिरंग (5,758 मीटर/ 19,000 फीट) के समिट कैंप तक की अभियान शामिल है। उन्होंने अपने पर्वतारोहण के सफर की शुरुआत बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स (बीएमसी) से की, जहां उन्हें एनआईएमएएस द्वारा अरुणाचल प्रदेश के 16,500 फीट गोरीचेन ग्लेशियर में माउंटेनियरिंग ट्रेनिंग प्राप्त हुई। इसके बाद, शशि शेखर ने दार्जिलिंग में स्थित हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट से एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स (एएमसी) की ट्रेनिंग ली और 17,600 फीट स्थित कब्रू साउथ कैंप तक का सफर किया। इसके अलावा उन्होंने एनआईएमएएस, अरुणाचल प्रदेश से सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स पूरा किया। इस दौरान उन्होंने विषम परिस्थितियों में खुद और दूसरों को रेस्क्यू करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
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